निर्भया गैंग रेप के 4 दरिंदे अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को आज सुबह शुक्रवार को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई है। गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने गुनाहगारों के डेथ वारंट पर रोक लगाने से स्पष्ट इंकार कर दिया था। आज निर्भया की माँ आशा देवी ने एक लड़ाई जीत ली।
लड़ाई जो उस मां की अकेली की नहीं बल्कि पूरे देश की बेटियों की मां की लड़ाई थी। हक की लड़ाई, इंसानियत की लड़ाई,नृशंसता के खिलाफ लड़ाई, सम्मान और सुरक्षा की लड़ाई...16 दिसंबर 2012 को पूरी दिल्ली दहल गई थी। देश की एक बेटी का चलती बस में गैंग रेप किया गया था। उस दिन से लेकर हर दिन कोर्ट में गुनाहगारों के वकील के तमाशे चले हर तरह की पैंतरेबाजी खेली गई लेकिन अंततः जीत न्याय की हुई और एक बार फिर देश की न्याय व्यवस्था ने भरोसा दिलाया कि बेटियों की सुरक्षा और सम्मान के सवाल पर अंतिम फैसला उसी के हक में होगा।
यह फैसला मील का पत्थर बने यही ख्वाहिश है। अभी बहुत सी निर्भया सिसक रही हैं ,बहुत सी दामिनियां न्याय के इंतज़ार में बिखर रही हैं । उन्हें भी हमें समेटना होगा। उन्हें भी बुझने से बचाना होगा। एक कड़ा संदेश सारी दुनिया को देना होगा कि इस देश में बच्चियों का सम्मान बना रहेगा।
बस कसक यही है कि यदि यह तुरंत और त्वरित होता तो इसका उतना ही व्यापक प्रभाव होता जितना उस विभत्सता ने देश भर को सन्नाटे में खड़ा कर दिया था। बहरहाल ये वक़्त पीछे मुड़कर देखने का नहीं बल्कि देश और निर्भया की मां आशा देवी के साथ खड़े होने का है। आज आशा देवी के साथ देश की आशा पूरी हुई।