जीवन में अच्छे बुरे अनुभवों से गुज़रना पड़ता है। कई लोगों के साथ ऐसा भी हुआ है कि उनके करीबी रिश्तेदारों या दोस्त, पड़ोसी ने झूठे आपराधिक प्रकरण में फंसा दिया हो। यदि आपके खिलाफ कोई पुलिस रिपोर्ट हुई है तो आपको उसका सामना करना ही होगा। सवाल यह है कि आप इस मुश्किल समय में हिम्मत से काम लेते हैं या बिना लड़े ही हार मान लेते हैं? ऐसे में पूरे परिवार पर ही संकट आ जाता है, लेकिन केवल घबराने से कुछ नहीं होगा, बल्कि आपको धैर्य रखना होगा और और विरोधियों की हर चाल का कानूनी रूप से जवाब देना होगा।
आप के विरुद्ध किया गया मुकदमा फर्जी है, यह केवल आप और आपके सगे संबंधी मित्र जानते हैं। पुलिस की कार्रवाई तो रिपोर्ट, गवाह और सबूतों के आधार पर ही होती है। अगर आपके खिलाफ रिपोर्ट, गवाह, सबूत भी गढ़ लिए गए हैं तो भी घबराने की जरूरत नहीं। याद रखिए अगर आप पर किसी ने आरोप लगाए हैं तो उन्हें साबित करने का भार भी उसी व्यक्ति पर है, इसलिए डरने की ज़रूरत नहीं, बल्कि धैर्य से काम लेना होगा।
पुलिस रिपोर्ट, गवाह और सबूतों के आधार पर अपनी विवेचना करके आरोप पत्र प्रस्तुत करती है। इसका जवाब आप अदालत में अपने वकील के माध्यम से दे सकते हैं। एक अच्छा वकील करें और अपना पक्ष मजबूती से इस तरह रखें कि प्रतिपक्ष का एक एक आरोप, गवाह अदालत में धराशायी हो जाए। झूठी गवाही में क्या तथ्य मनगंढ़त हैं और आप पर लगाए गए सभी आरोप क्यों निराधार हैं, इस तरह की सभी जानकारी अपने वकील को दें। यह लड़ाई लंबी चल सकती है, लेकिन आपको राहत अदालत की पहली सुनवाई से ही मिलना शुरू हो सकती है।
अगर आप यह साबित कर देते हैं कि आपके खिलाफ मुकदमा फर्जी था और आपको फंसाने के लिए ही यह जाल बुना गया है तो आप न्यायालय से फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले पक्ष के खिलाफ कारवाई का निवेदन भी कर सकते हैं और हर्जाने का दावा भी कर सकते हैं।
यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि केवल फर्जी मुकदमा दर्ज होने से ही आपके के लिए सभी अवसर समाप्त नहीं होते, बल्कि यदि आपके जीवन में ऐसा कुछ हुआ है तो आप कानूनी लड़ाई लड़कर अच्छे वकील के माध्यम से मजबूती से अपना पक्ष रखिए। सच की जीत होती है, बस आप धैर्य रखें।