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मध्यप्रदेश में सियासत का 'भक्तिकाल', बड़ा सवाल शिव और राम किसका लगाएंगे बेड़ा पार

हमें फॉलो करें मध्यप्रदेश में सियासत का 'भक्तिकाल', बड़ा सवाल शिव और राम किसका लगाएंगे बेड़ा पार

विशेष प्रतिनिधि

, सोमवार, 1 अक्टूबर 2018 (12:14 IST)
भोपाल। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का बेड़ा पार लगाने के लिए कांग्रेस और भाजपा इस बार भगवान राम और शिव के भरोसे कुछ ज्यादा ही दिखाई दे रही हैं। वोटरों को रिझाने की बात हो तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेता भक्ति के रंग में डूबे नजर आ रहे हैं। दोनों ही पार्टी अपने चुनावी प्रचार अभियान में भगवान शिव और राम को साथ लेकर चलती नजर आ रही हैं। यूं कहें तो इस समय मध्यप्रदेश में सियासत के 'भक्तिकाल' चल रहा है, जो चुनाव आते-आते चरम पर पहुंचेगा।
 
 
'भक्ति' में कांग्रेस से पिछड़ी भाजपा : राजनीति में कभी हिंदुत्व और भगवान राम के नाम पर सियासत की सीढ़ी चढ़ने वाली भाजपा इन दिनों सूबे में 'भक्ति' में कांग्रेस से पिछड़ती दिख रही है। सूबे में चल रहे सियासत के 'भक्तिकाल' की बात करें तो कांग्रेस सूबे में सत्ता का वनवास खत्म करने के लिए इस बार भगवान राम और शिव के भरोसे कहीं ज्यादा ही नजर आ  रहीं है।
 
 
प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ की ताजपोशी के बाद सूबे में कांग्रेस का चेहरा अचानक से देखते ही देखते बदल गया। पार्टी ने अपनी पूरी चुनावी रणनीति सॉफ्ट हिंदुत्व पर फोकस कर दी। कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालते ही सबसे भोपाल के मुख्य मंदिरों में दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। कमलनाथ को वैसे भी हनुमान भक्त के तौर पर जाना जाता है। अपने संसदीय क्षेत्र नगर छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने जो हनुमान मंदिर बनवाया है, वहां हर साल विशेष पूजा अनुष्ठान होता है।
 
 
इसके बाद कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र का नाम वचन पत्र और सत्ता में आने पर प्रत्येक पंचायत में गौशाला खोलने का वादा प्रदेश की जनता से किया है। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस का चुनावी शंखनाद करने भोपाल आए राहुल गांधी का कार्यकर्ताओं ने शिवभक्त कहकर स्वागत किया और पूरे शहर में शिवभक्त राहुल के बैनर पोस्टर लगा दिए।
 
 
राहुल जब भोपाल पहुंचे तो विधिवत ग्यारह कन्याओं का पूजन कर और भगवान का आशीर्वाद लेकर अपनी चुनावी रैली शुरू की। वहीं अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जब मध्यप्रदेश में हर अंचल में कांग्रेस का चुनाव प्रचार का शंखनाद करने के लिए पहुंच रहे हैं तो मंदिर दर्शन कर ही चुनावी शंखनाद कर रहे हैं। 
 
 
पिछले दिनों विंध्य में चुनाव प्रचार करने पहुंचे राहुल ने चित्रकूट में कामतानाथ मंदिर में दर्शन कर अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी। यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जो बैनर पोस्टर लगाए उसमें राहुल को राम भक्त बताया गया। वहीं अब राहुल जब 14 और 15 अक्टूबर को मालवा पहुंचेंगे तो अपने चुनाव प्रचार का शंखनाद उज्जैन के महाकाल मंदिर से करेंगे। इसके साथ ही एआईसीसी ने पीसीसी से प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों की सूची मंगाई है जिसके हिसाब से राहुल का पूरा चुनाव कैंपेन डिजाइन किया जा सके। 
 
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भाजपा का 'भक्ति मार्ग' : अगर बात करें भाजपा की तो पार्टी की पहचान ही हिंदुत्व से होती है। अपनी इसी पहचान को बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश में भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार का शंखनाद बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से किया। भाजपा का सबसे बड़ा चुनावी कैंपेन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाने से पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के साथ महाकाल के दर्शन कर सूबे में चौथी बार सरकार बनाने के लिए आशीर्वाद लेते हुए जनआशीर्वाद को रवाना किया था।
 
 
इसके साथ ही मुख्यमंत्री अपनी जनआशीर्वाद यात्रा की हर सभा में सबसे पहले कन्या पूजन करते हैं, फिर लोगों को संबोधित करते हैं। वहीं मुख्यमंत्री जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान जिस जिले में पहुंचते हैं, वहीं के मुख्य मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पार्टी की हिंदुत्व वाली छवि को मजबूत करने के लिए कई घोषणाएं भी करते हैं। जैसे खजुराहो पहुंचे मुख्यमंत्री ने प्रदेश में गौ मंत्रालय बनाने की घोषणा करने के साथ प्रदेश गौसेवा के लिए और गौ अभयारण्य खोलने की भी घोषणा की।
 
 
धर्म का इस्तेमाल हो रहा है : भले ही हमारा कानून धर्म के आधार पर वोट मांगने की मनाही हो, लेकिन इस बार चुनाव में सियासी  दल जमकर धर्म का सहारा ले रहे हैं। बात चाहे सत्तारूढ़ दल भाजपा की हो या मुख्य विरोधी दल कांग्रेस की। दोनों ही दलों के बड़े नेता इन दिनों मंदिरों की परिक्रमा लगा रहे हैं। 
 

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