‘The Forty Rules of Love’ अंधेरे में भटके लोगों को रोशनी दिखाती है ‘एलिफ शफाक’ की किताब

नवीन रांगियाल
खुदा का सच्‍चा भक्‍त जब शराबखाने को भी इबादतखाना बना देता है

इस बात की चिंता मत करो कि‍ रास्‍ता तुम्‍हें कहां ले जाएगा, तुम्‍हारी जिम्‍मेदारी सिर्फ इतनी है कि पहला कदम उठाओ, यही सबसे मुश्‍किल है।

दुनिया के तमाम अंधेरों में भटके हुए लोगों को रोशनी दिखाते हैं शम्‍स तबरेज के द 40 रुल्‍स ऑफ लव

‘द 40 रूल्‍स ऑफ लव’ में एक एक गृहिणी है, एक शराबी है, एक वैश्‍या है, आध्‍यात्‍म के मार्ग पर चलने वाला एक साधक शम्‍स तबरेज है और दुनिया का सबसे बड़ा सूफी जलालउद्दीन रूमी भी है।

अपने आध्‍यात्‍मिक दोस्‍त रूमी को खोजने की यात्रा में शम्‍स को राह में कई लोग मिलते हैं, वैश्‍या भी और शराबी भी। भले भी और बुरे भी। वो अपने रास्‍ते में आने वालों को हर शख्‍स को प्रेम और भक्‍ति‍ के नियमों के पाठ पढ़ाता रहता है और आगे बढ़ाता रहता है।

जिंदगी के अलग-अलग अंधेरों में भटके लोगों के लिए शम्‍स के 40 नियम किसी रोशनी और प्रकाश की तरह है। वो अपनी वाणी से सूफी रहस्‍यवाद की गांठें खोलता जाता है और अंधेरा दूर करता जाता है।

वो धैर्य की बात करता है, प्रेम की बात करता है, गुरु की खोज की बात करता है। वो पूरी कायनात को एक ही दृष्‍ट‍ि से देखता और महसूस करता है। उसकी नजर में पूरी सृष्‍ट‍ि एक ही है।

एलिफ शफाक की दुनिया में हर किरदार एक दूसरे से अलग हैं, वो अपनी बदतर दुनिया से निकलने का प्रयास कर रहा है, जाने या अनजाने। अपनी जिंदगी की दुर्गंध से बाहर निक‍लने के लिए वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष तौर पर प्रयासरत हैं और शम्‍स अपने उपदेशों से उनकी उनकी जिंदगी का मकसद बताता रहता है।

प्‍यार के ये 40 नियम ऐसे हैं जो दुनिया में हर इंसान के लिए काम आने वाले नियम हैं। कहीं न कहीं हर एक शख्‍स को इसकी जरूरत है। चाहे वो प्रेम हो, आध्‍यात्‍म का या जिंदगी की कोई जद्दोजहद।

‘प्रेम के चालीस नियम’ ‘द 40 रूल्‍स ऑफ लव’ तुर्की की लेखक एलिफ शफाक ने लिखी है। यह एक उपन्यास है, और मार्च 2009 में प्रकाशित हुई थी।

मौलाना जलाल-उद-दीन रूमी और उनके साथी शम्स तबरेज़ की जिंदगी के ईर्द-गि‍र्द कहानी को बुनती यह किताब बताती है कि कैसे शम्स ने एक विद्वान को प्रेम के माध्यम से सूफी (रहस्यवादी) में तब्‍दील बदल दिया।

हम सब ऊपर वाले की प्रतिछाया हैं, फि‍र भी हम एक दूसरे से अलग हैं और अनोखे हैं

इस नियम के साथ शम्‍स कहता है कि हम सब एक हैं, ये पूरी सृष्‍ट‍ि एक ही है, इसमें रहने वाले भी। लेकिन अंतत: हम सब ऊपर वाले की प्रतिछाया है। फि‍र भी हमारी योग्‍यता, हमारे गुण एक दूसरे से अलग हैं। यही चीज हमें अनोखी बनाती है।

अपनी जिंदगी के मकसद को हासिल करने की कोशिश करने वालों से शम्‍स कहता है कि --- इस बात की चिंता मत करो कि‍ रास्‍ता तुम्‍हें कहां ले जाएगा, तुम्‍हारी जिम्‍मेदारी सिर्फ इतनी है कि पहला कदम उठाओ, यही सबसे मुश्‍किल है।

एलिफ शफाक की यह किताब आध्‍यात्‍मिक और आंतरिक विकास के साथ ही आज के दौर में सबसे अहम बाहरी विकार यानी हमारी पर्सनॉलि‍टी के बारे में भी सीख देती है। शम्‍स कहता है----   अगर तुम चाहते हो कि लोग तुम्‍हारे साथ अच्‍छा बर्ताव करे, तो खुद तुम्‍हें भी अपने साथ अच्‍छा बर्ताव करना होगा।

चालीस नियमों में से एक नियम में शम्‍स आदमी की भावनाओं पर जोर देता है और कहता है हम जो भी काम करते हैं उसमें भावना प्रधान होना चाहि‍ए, अगर आपकी भावना या भाव शुद्ध है तो आप गंदगी को भी स्‍वच्‍छता में तब्‍दील कर सकते हो।

भाव को लेकर शम्‍स कहता है---   खुदा का सच्‍चा भक्‍त जब शराबखाने में जाता है तो शराबखाना भी इबादतखाना बन जाता है। हम जो भी काम करते हैं उनमें सिर्फ हमारी भावनाएं मायने रखती हैं।

शम्‍स बुद्धि‍ और प्रेम के भेद के बारे में भी सीख देता है, वो कहता है कि ---- बुद्धि‍ और प्रेम दो अलग धातुओं से बनी है, बुद्धि‍ उलझा देती है और प्रेम सारी गांठें खोल देता है।

वो कहता है कि बुद्धि‍ आदमी को उलझन में डालती है, जबकि प्रेम हमारी सारी उलझनों को दूर कर सकता है।

शम्‍स अपने सफर में मिलने वाले किरदारों उनकी तमाम मुश्‍किलों के बारे में कहता है --- चाहे जो हो जाए, इंसान को कभी अपने संघर्ष से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। क्‍योंकि एक दिन वो दिन जरूर आता है, जब हमें लगता है कि हमारे सारे दरवाजे बंद हो गए हैं, लेकिन वास्‍तव में जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो खुदा एक नया दरवाजा खोल देता है

अपने गुरु की खोज और उसके महत्‍व के बारे में किताब का एक नियम कहता है कि --- इस कायनात में जितने तारे हैं, उससे ज्‍यादा नकली गुरु और ढोंगी शि‍क्षक हैं। एक सच्‍चा गुरु कभी अपनी ओर तुम्‍हारा ध्‍यान आकर्षि‍त नहीं करेगा।

धैर्य का अर्थ चुपचाप सहन करना नहीं होता, इसका अर्थ है कि व्‍यक्‍ति को इतना दूरदर्शी होना चाहिए कि वो अंति‍म परिणाम पर भरोसा कर सके।

किताब में पाठक को रूमी और उमर ख्‍य्याम की शायरी भी बेहद रोचक अंदाज में पढ़ने को मिलेगी।

एक चर्चा में शराब का जिक्र होता है, जिसमें एक शेर के जरिए कहा जाता है।

तुम्‍हें लगता है कि खुदा ने अंगूर उगाए
और फि‍र शराब को पीना पाप बना दिया

तुर्की लेखि‍का एलिफ शफाक की लिखी यह किताब प्रेम और आध्‍यात्‍म के साथ ही जिंदगी के तमाम विषयों पर बात करते हुए बहुत कुछ सिखा देती है। प्रेम, आध्‍यात्‍म और सूफीवाद पर यह एक अंतरराष्‍ट्रीय बेस्‍ट सेलर किताब है। मंजुल प्रकाशन से प्रकाशि‍त इस किताब का हिंदी अनुवाद आशुतोष गर्ग ने किया है। किताब की कीमत 450 रुपए है।

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