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Motivational Story : सामान्य पत्‍थर जब बन गया पवित्र

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अनिरुद्ध जोशी

यह कहानी भी बहुत ही प्रसिद्ध है जिसे कई लोग कई तरह से सुनाते हैं और कई तरह से पढ़ने में आई है। यहां हम अपने तरीके से बताते हैं। बड़ी ही प्रेरक कहानी है और इसे पढ़कर आप भी प्रेरित हो जाएंगे। 
 
एक राज्य में एक बहुत ही प्रसिद्ध राजा रहता था। वह जनता के बीच बहुत ही लोकप्रिय था। जनता उसके हर कार्य को महान कार्य मानने लगी थी और उसका सम्मान भी बहुत बढ़ गया था। एक दिन उसी के नगर के एक पहाड़ से बड़ा-सा गोल पत्थर नीचे लुढ़कर कर गिर गया। हालांकि इससे किसी के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन वह पत्थर गांव के मार्ग पर था। 
 
राजा को जब इसका पता चला तो वह सभी गणमान्य नागरिकों के साथ वहां गया और उसने उस पत्थर को देखा और पत्‍थर को छूकर कहा- वाह यह तो बहुत ही सुंदर पत्थर है परंतु यह मार्ग में क्यों पड़ा है? इसे यहां से हटाकर सड़कर के दूसरे किनारे वहां रख दो। 
 
लोग राजा की बात का पालन बड़ी ही खुशी से करते थे। लोगों के उस पत्थर को उठाकर सड़कर के किनारे रखा ही नहीं बल्कि उस पर लिख दिया की राजा द्वारा रखा गया पत्‍थर। राजा को इस बात का कोई पता नहीं था। 
 
कई साल गुजर गए, राजाओं का राज भी खतम हो गया और लगभग तीन पीढ़ियां भी गुजर गईं। नगर की जनसंख्‍या भी बढ़ती गई और उस पत्थर पर लिखा भी कभी का मिट गया, परंतु लोगों ने उस पर लिख दिया था पवित्र पत्थर। फिर किसी ने लिख दिया आसमानी पत्‍थर। इस तरह धीरे-धीरे वह पत्‍थर प्रसिद्ध हो गया और लोग इसके दर्शन करने आने लगे। 
 
वह पत्थर पहले नगर के किनारे रखा था लेकिन विकासक्रम के चलते-चलते वह अब सड़क के बीच में हो चला था। नगर जब महानगर बनने की राह पर चला तो राह में रखा पत्थर फिर से आड़े आया। इंजीनियर ने शहर के मेयर से कहा कि साब ये सड़क को फोरलेन बनाना है तो पत्थर हटाना होगा क्योंकि इस पत्थर के कारण बहुत चक्काजाम होता है। मेयर ने कहा कि हटा दो।
 
अब जब उस पत्‍थर को हटाने की खबर नगर में फैली तो आंदोलन प्रारंभ हो गया कि यह बहुत ही प्राचीन, पवित्र और रहस्यमयी पत्‍थर है आप इसे इस तरह नहीं हटा सकते। शहर के गणमान्य नागरिक इतिहास बताने लगे कि यह किसी विशेष उद्येश्य के चलते यहां रखा गया है। किसी ने कहा कि नगर में एक बार आपदा आई थी तो यहां के राजा ने विशेष पूजा के बाद इस पत्‍थर को यहां रखवाया था तभी से यह नगर सुरक्षित और खुशहाल है। किसी ने कहा कि इस पत्‍थर को यहां से हटाना नगर की पहचान को खत्म करना होगा। किसी ने कहा कि यह देवताओं द्वारा स्थापित पत्‍थर है।
 
इसी तरह से उसे हटाने का विरोध बढ़ता ही गया और अंतत: वह पत्‍थर आज भी वहीं का वहीं रखा हुआ है।
 
सीख, जीवन में ऐसी कई तरह की धारणाएं होती हैं जिनके पीछे की सचाई हम नहीं जानते हैं और बस माने चले जाते हैं। मान्यता पर आधारित जीवन जीना छोड़कर कुछ नया करने की सोचना चाहिए। कई बार यही मान्यताएं हमारी तरक्की की राह में रोड़ा बन जाती है। ऐसी मान्यताओं को जितना जल्दी हम समझ जाएं अच्छा है।

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