आत्म विश्वास सेहत और सफलता का आधार है। कमजोर आत्म विश्वास से बहुत सारी शारीरिक और मानसिक बीमारियों का जन्म होता है साथ ही जीवन के हर मोड़ पर असफलता का मुंह देखना पड़ता है। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए शरीर और मन में स्वस्थ्य अनुभव करना जरूरी है। आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए और भी कुछ बातें जरूरी है। किस तरह से आध्यात्मिक और किस तरह से सांसारिक तरीके से आप आत्मविवास बढ़ा सकते हैं इस संबंध में जानिए 5 टिप्स।
सांसारिक टिप्स :
1. बेहतर कपड़े पहनें : यह सही है कि कपड़ों से व्यक्ति की पहचान नहीं करना चाहिए परंतु यह सब दार्शनिक बातें है। प्रेक्टिकली तो लोग पहले कपड़े देखकर ही अंदाजा लगाते हैं कि आप कैसे होंगे। यदि अच्छे कपड़े और जुते नहीं पहने हैं तो निश्चित ही आपका कांफिडेंस लुज ही होगा। बेहतकर कपड़े पहनने वालों की ओर लोगों का स्वत: ही ध्यान जाता है और वे आपकी इज्जत करते हैं।
2. हमेशा आगे बैठें : कहीं भी जाएं तो कभी भी पीछे बैठने का प्रयास ना करें। ऐसा वे करते हैं जो अपनी हीन भावना से बचना चाहते हैं, अयोग्य हैं या जो संकुचाते हैं। आप कुछ भी हो पहले आगे बैठने का अभ्यास करें।
3. जोर से, झट से और जोश से बात करें : कभी भी दबी हुई आवाज में बात ना करें। जो मन में है उसे झट से बोल दें। यह ना सोचे कि मेरे बोलने का क्या प्रभाव पड़ेगा। बोलते बोलते ही बोलना सीख जाएंगे।
4. नजरें मिलकर बात करें : कभी भी किसी से भी नजरें चुराकर या झुकाकर बात ना करें। हमेशा नजरें मिलाकर बात करें।
5. अपने अचिवमेंट को ध्यान में रखें : हमेशा आपने जो हासिल किया है उसे याद रखें। आप मौका पड़ने पर इसे बताने से ना चुकें। आप अपनी छोटी बड़ी सबी उपलब्धियों को लिख लें।
6. गलतियां करने से डरना छोड़ें : जो काम करता है गलतियां उसी से होती हैं। गलतियां करना गलत नहीं है उसे रिपिट करना गलत है। गलतियों से सबक लें और आगे बढ़ें।
7. हर इवेंट में भाग लें : घर हो या कार्यालय दोनों ही जगह यदि कोई इवेंट हो रहा है तो उसमें पार्टिसिपेट कीजिये। दूर दूर ना रहें, मिलनसार बनें।
अब जानिए आध्यात्मिक टिप्स :
1. मौन : योग में कहा गया है कि मौन से मन की शक्ति का विकास होता है। देखने और समझने की क्षमता बढ़ती है और संयम का जन्म होता है। दिन के 12 घंटे में सिर्फ एक घंटे के लिए मन के भीतर की प्रत्येक गतिविधि को रोक दें।
2. ध्यान : ध्यान का अभ्यास बहुत जरूरी है। यह मौन रहने में सहायक सिद्ध हो सकता है। यह अभ्यास प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट के लिए अवश्य करना चाहिए। ध्यान आपके भीतर आंतरिक शक्ति का विकास करता है साथ ही यह शरीर के संताप को कम कर रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता है। इससे आपके भीतर का विजन पॉवर भी बढ़ता और आत्मविश्वास भी।
3. प्राणायाम : प्राणायाम में तीन-चार आवर्तक भस्त्रिका कुम्भक करना चाहिए। अनुलोम-विलोम कुम्भक के साथ 1:2:4 के अनुपात में करना चाहिए। प्राणायाम से शरीर को भरपूर ऑक्सिजन मिलती है जो सेल्फ कांफिडेंस बढ़ाने के लिए जरूरी है।
4. योगनिद्रा : आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए 7 से 8 घंटे तक सोना आवश्यक है। यदि किसी चिंता के कारण नींद नहीं आ रही है तो योग निद्रा का अभ्यास करें।
5. योगासन : योगासन में ताड़ासन (आँखें बंद करके), संतुलित त्रिकोणासन, हनुमानासन, मेरुदंडासन, उत्कटासन, गरुड़ासन, बकासन, मयूरासन, उत्थितपद्मासन, पद्म मयूरासन, पद्म बकासन, धनुरासन, सर्वागासन और चक्रासन का अभ्यास किसी योग प्रशिक्षक के सानिध्य में करना चाहिए।
6. अध्ययन : अच्छी किताबें आपना ज्ञान बढ़ने के साथ ही आपमें आत्मविश्वास का संचार करेंगी। आप ऐसी किताबें पढ़ें जो आपके क्षेत्र में आपकी योग्यता बढ़ाती हो। आप अपने विषय में पारंगत बनें।
7. स्वाध्याय : इसका अर्थ होता है स्वयं का अध्ययन करना। यह जरूरी है कि आप यह देखें और सोचे कि मैं कैसा हूं, मेरी सोच कैसी है, मेरे व्यवहार दूसरों के प्रति कैसे है और मुझमें क्या कमी है। इन्हें अच्छे से समझकर इनमें सुधार करना ही स्वाध्याय है।