माधुरी निगम
मां के रूप अद्भुत
मां की गोदी सिंहासन है,
आंचल उसका शामियाना।
मां की ख़ुशबू रात रानी,
मां की आंखें दिव्य दृष्टि।
मां के होंठ मीठी पप्पी,
मां की बातें वेद पुराण।
मां की हंसी मेरा झुनझुना,
मां ही मेरा खिलौना है।
मां की थपकी नींद की गोली,
मां ही मेरा चंदा सूरज है।
मां का काजल मेरा गहना,
मां ही मेरा डिठौना है।
नज़र लगे ना मुझको कभी,
मां राई मिर्ची सुरक्षा है।