अमलनेर- महाराष्ट्र में मंदिरों की समस्याओं को लेकर सरकार गंभीर है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बजट सत्र की समाप्ति के बाद सभी मंदिरों की समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों, मंदिर न्यासियों, पुजारियों की अलग से बैठक करने का वादा किया। मंदिरों की समस्याओं के समाधान को लेकर ट्रस्टियों से विस्तृत चर्चा करके मुख्यमंत्री ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
जलगांव में 4 और 5 फरवरी को आयोजित 'महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद' में मंदिरों के संरक्षण व संरक्षण के लिए विभिन्न संकल्पों को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसी समय महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की स्थापना हुई। इस दौरान महासंघ ने उस समय बने संकल्प को मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत कर उस पर कार्यवाही करने की मांग की।
तुलजापुर में श्री तुलजाभवानी मंदिर संस्थान, कोल्हापुर में श्री महालक्ष्मी देवस्थान, पंढरपुर में श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर, शिरडी में श्री साईबाबा संस्थान, मुंबई में श्री सिद्धिविनायक मंदिर जैसे सरकारी मंदिरों में व्यापक भ्रष्टाचार है। सरकार द्वारा उसकी जांच की जा रही है। साथ ही संघ की प्रमुख मांगें मुख्यमंत्री से थीं कि जिन मंदिरों पर प्रशासक या न्यायाधीश नियुक्त किए गए हैं, उन्हें हिंदुओं के नियंत्रण में वापस कर दिया जाए और इस संबंध में एक स्वतंत्र प्राधिकरण की स्थापना की जाए।
बयान देने वाले प्रतिनिधिमंडल में राज्य के बंदरगाह और खान मंत्री दादाजी भुसे, नासिक के सांसद हेमंत गोडसे, शिवसेना प्रमुख प्रतोद विधायक भरतशेठ गोगावले, श्रीक्षेत्र भीमाशंकर संस्थान के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश कौद्रे, एसोसिएट ट्रस्टी मधुकर गावंडे, श्री लेन्याद्री गणपति देवस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष जितेंद्र बिदवई शामिल थे।
नासिक से श्री कालाराम मंदिर के आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत सुधीरदास महाराज, जी.एस.बी. ऋत्विक औरंगाबादकर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मंगलग्रह सेवा संस्था, अमलनेर में मंगलदेव मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष दिगंबर महाले, वडज देवस्थान के आदिनाथ चव्हाण, अभिषेक भगत, श्री भवानीमाता मंदिर, नगर के अधिवक्ता किशोर गंगणे, श्री तुलजाभवानी पुजारी मंडल, पनवेल के पूर्व अध्यक्ष जैन संघ के अध्यक्ष मोतीलाल जैन, अशोक कुमार खंडेलवाल, सनातन संस्था के अभय वरदक, धर्मवीर आध्यात्मिक सेना के क्षेत्रीय अध्यक्ष एच.बी.पी. अक्षय महाराज भोसले, वारकरी संप्रदाय के H.B.P. भगवान महाराज कोकरे, पूर्व मंत्री परिनय फुके, जलगांव के विधायक सुरेश भोले, नागपुर के विधायक विकास कुंभारे, गंगापुर के विधायक प्रशांत बंबा, गोपीचंद पाडलकर विधायक, शाहदा के विधायक राजेश पाडवी, पचोरा के विधायक किशोर पाटिल, बालासाहेब मुर्कुटे पूर्व विधायक, राज पुरोहित पूर्व विधायक , ठाणे की महापौर मीनाक्षी शिंदे और महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक और हिंदू जनजागृति समिति के राज्य संयोजक सुनील घनवट उपस्थित थे।
इस अवसर पर आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत सुधीरदासजी महाराज ने मुख्यमंत्री से कहा कि मंदिर में प्रशासकों और न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए और पुजारियों और ट्रस्टियों के बीच के मुद्दों को हल करने के लिए महाराष्ट्र में उत्तरप्रदेश की तर्ज पर प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने पुजारियों को वेतन पर रखा गया है, यही व्यवस्था महाराष्ट्र में भी शुरू की जानी चाहिए।
मंदिर न्यासियों की विभिन्न मांगों का संकल्प मुख्यमंत्री को सौंपा : इस अससर पर महाराष्ट्र मंदिर महासंघ द्वारा किए गए 9 प्रस्तावों के अनुसार की गई मांगें जैसे:-
- सरकार को राष्ट्रीयकृत मंदिरों को मुक्त करना चाहिए और न्यायालय के आदेशों का पालन करना चाहिए।
- राज्य सरकार को यह घोषणा करनी चाहिए कि मंदिर की संपत्ति का उपयोग विकास कार्यों के लिए नहीं किया जाएगा।
- पौराणिक या ऐतिहासिक महत्व के मंदिरों के तत्काल जीर्णोद्धार के लिए पर्याप्त प्रावधान किया जाना चाहिए, लेकिन प्रशासन, पुरातत्व विभाग द्वारा उपेक्षित।
- राज्य में धार्मिक स्थलों और किलेबंद मंदिरों पर अतिक्रमण का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।
- चूंकि मंदिर के पुजारियों की आय नगण्य है, इसलिए सरकार को उन्हें मासिक वजीफा देना चाहिए।
- मंदिरों और धार्मिक स्थलों की पवित्रता की रक्षा के लिए सरकार को एक अधिसूचना जारी करनी चाहिए कि उनके परिसर में शराब और मांस नहीं बेचा जा सकता है।
- राज्य में उपलब्ध 'सी' श्रेणी के मंदिरों को उचित दस्तावेज के साथ तत्काल 'बी' श्रेणी में वर्गीकृत किया जाए।
- धर्मार्थ आयुक्तों द्वारा मंदिरों को सामाजिक कारणों से दान करने के लिए आदेश नहीं भेजे जाने चाहिए और मंदिर के धन का उपयोग केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए ही किया जाना चाहिए।
- न्याद्रि के अष्टविनायक मंदिरों में से श्री लेण्याद्री गणपति मंदिर जाने के लिए केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा टिकट वसूलने पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी किया जाए।