जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के 34 भव जानिए...

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भगवान महावीर स्वामी के चौंतीस भव (जन्म) इस प्रकार हैं -   
 
1. पुरुरवा भील, 
2. पहले स्वर्ग में देव, 
3. भरत पुत्र मरीच, 
4. पांचवें स्वर्ग में देव, 
5. जटिल ब्राह्मण, 
6. पहले स्वर्ग में देव, 
7. पुष्यमित्र ब्राह्मण,
8. पहले स्वर्ग में देव, 
9. अग्निसम ब्राह्मण, 
10. तीसरे स्वर्ग में देव, 
11. अग्निमित्र ब्राह्मण, 
12. चौथे स्वर्ग में देव, 
13. भारद्वाज ब्राह्मण, 
14. चौथे स्वर्ग में देव,
15. मनुष्य (नरकनिगोदआदि भव), 
16. स्थावर ब्राह्मण, 
17. चौथे स्वर्ग में देव, 
18. विश्वनंदी, 
19. दसवें स्वर्ग में देव, 
20. त्रिपृष्‍ठ नारायण, 
21. सातवें नरक में, 
22. सिंह, 
23. पहले नरक में, 
24. सिंह, 
25. पहले स्वर्ग में, 
26. कनकोज्जबल विद्याधर, 
27. सातवें स्वर्ग में, 
28. हरिषेण राजा, 
29. दसवें स्वर्ग में, 
30. चक्रवर्ती प्रियमित्र, 
31. बारहवें स्वर्ग में, 
32. राजा नंद, 
33. सोलहवें स्वर्ग में, 
34. तीर्थंकर महावीर।
 
इनके मध्य असंख्य वर्षों तक नरकों, त्रस स्थावर योनियों, इतर निगोद में जो भव ग्रहण किए उनकी गिनती नहीं हो सकती।  

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