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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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कृष्ण के 8 और महाभारत के 18 अंक का सबसे बड़ा रहस्य

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अनिरुद्ध जोशी

पंचम वेद महाभारत में भारत का प्रचीन इतिहास है। यह ग्रंथ हमारे देश के मन-प्राण में बसा हुआ है। यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित है। अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है। इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है। प्रत्येक हिंदू के घर में महाभारत होना चाहिए। महाभारत में कई रहस्य भरे हुए हैं।महाभारत युद्ध में 8 और 18 संख्‍या का बहुत महत्व है। आओ जानते हैं 8 और 18 अंक का महाभारत में क्या रहस्य है।
 
 
श्रीकृष्ण से जुड़ा 8 अंक का रहस्य-
8 को शनि का अंक माना जाता है। इस अंक का स्वामी ग्रह शनि है। कुछ अंक शास्त्री आठ अंक को अशुभ मानते हैं क्योंकि यह शनि से जुड़ा है। आठ अंक के व्यक्ति को हर चीज को पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है तब कहीं जाकर वह कुछ हासिल कर पाता है। यह अंक शनि का है और शनि व्यक्ति को तपाकर ही फल प्रदान करते हैं। श्रीकृष्ण के जीवन में आठ अंक का अजब संयोग है। आओ जानते हैं इस रहस्यमी और अजीब संयोग को...
 
 
-भगवान विष्णु ने आठवें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के अट्ठाईसवें द्वापर में आठवें अवतार श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में मथुरा के कारागर में जन्म लिया था।
 
-उनका जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के सात मुहूर्त निकल गए और जब आठवां उपस्थित हुआ तभी आधी रात के समय सबसे शुभ लग्न में हुआ था। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में ईसा से 3112 वर्ष पूर्व उनका जन्म हुआ। ज्योतिषियों अनुसार उस समय शून्य काल (रात 12 बजे) था।
 
 
- भगवान श्रीकृष्ण वसुदेव के आठवें पुत्र थे। उनकी आठ सखियां, आठ पत्नियां, आठ मित्र और आठ शत्रु थे। 
 
- गुरु संदीपनि ने कृष्ण को वेद शास्त्रों सहित 14 विद्या और 64 कलाओं का ज्ञान दिया था। इस तरह उनके जीवन में आठ अंक का बहुत संयोग है।
 
महाभारत से जुड़ा 18 अंक का रहस्य-
 
- महाभारत की पुस्तक में 18 अध्याय हैं।

- कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया।
 
 
- 18 दिन तक ही युद्ध चला। गीता में भी 18 अध्याय हैं।
 
- कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी।

- इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इस युद्ध में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे। जिनके नाम है- कृष्ण, कृपाचार्य, कृतवर्मा, अश्वत्थामा, युयुत्सु, सात्यकि, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव आदि। दुर्योधन भी युद्ध की समाप्ति के बाद मारा गया था।
 
 
- युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे, जिनके नाम थे- धृतराष्ट्र, दुर्योधन, दुशासन, कर्ण, शकुनि, भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, कृतवर्मा, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी एवं विदुर।
 
सवाल यह उठता है कि सब कुछ 18 की संख्‍या में ही क्यों होता गया? क्या यह संयोग है या इसमें कोई रहस्य छिपा है?

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