Mahabharata: भीष्म पितामह एक ही दिन में पांडवों सहित सेना वध कर देते लेकिन दुर्योधन ने कर दी बड़ी गलती

WD Feature Desk
मंगलवार, 16 जुलाई 2024 (17:17 IST)
Kurukshetra: राजा शांतनु और मां गंगा के पुत्र भीष्म पितामह ने सत्यवती और उसके पुत्रों को राज्य अधिकार देने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ले ली थी और यह वचन दिया था कि वे हस्तिनापुर के राजा के प्रति जिम्मेदार रहकर उनका हर कदम पर साथ देंगे। हस्तिनापुर की शत्रुओं से रक्षा करें। यही कारण था कि जब पांडु की मृत्यु के बाद धृतराष्ट्र को राज पद मिलता हैं तो भीष्म को उनका साथ देना पड़ा। भीष्म ने ही कौरव कुल को बचाने के लिए धृतराष्ट्र का विवाह गांधारी से कराया था। गांधारी के 100 पुत्र हुए। उन सौ पुत्रों का मामा शकुनि था।
 
महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह कौरवों की तरफ से सेनापति थे। कुरुक्षेत्र का युद्ध आरंभ होने पर प्रधान सेनापति की हैसियत से भीष्म ने 10 दिन तक घोर युद्ध किया था। हर बार दुर्योधन भीष्म पर दबाव डालते था कि आप इतने शक्तिशाली होने के बावजूद अर्जुन को क्यों नहीं मार पा रहे हैं? 
 
एक रात दुर्योधन ने शिविर में दुर्योधन ने भीष्म पितामह से कहा कि मुझे तो आप पर संदेह होता पितामाह कि आप हमारी ओर हैं या की पांडवों की ओर। मुझे लगता है कि पांडवों के प्रति आपके प्रेम के कारण आप पांडवों पर आत्मघाती प्रहार नहीं कर रहे हैं। आप जैसा शूरवीर योद्धा जो हजारों योद्धाओं को अपने एक ही बाण से मार सकता है ऐसे में उसके प्रहार से पांडव कैसे बच सकते हैं।
 
दुर्योधन के कटु वचन सुनकर भीष्म पितामह दुखी और क्रोधित हो जाते हैं। वे कहते हैं कि तुम जानते हो कि मैं जब तक जिंदा रहूंगा तब तक हस्तिनापुर पर आंच नहीं आने दूंगा। दुर्योधन जब तक मैं जिंदा हूं हस्तिनापुर की हार नहीं होने दूंगा। मैं अपनी पूरी क्षमता से युद्ध लड़ रहा हूं। यह सुनकर दुर्योधन कहता है कि तो फिर आप पांडवों का वध क्यों नहीं करते हैं। मुझे तो आपकी बातों पर विश्वास नहीं है पितामह। यदि ऐसा ही चलता रहा तो अर्जुन हम सब को मार देगा।
 
क्रोधित होकर भीष्म पितामह कहते हैं तो ठीक है मैं कल एक दिन में ही पांचों पांडवों को मार दूंगा। ऐसा बोलकर वे अपनी मंत्र शक्ति से 5 सोने के तीर तैयार करते हैं और दुर्योधन को कहते हैं कि ये पांच तीर अत्यंत ही शक्तिशाली तीर हैं जिनको कोई रोक नहीं सकता है। कल इन्हीं तीरों से पांचों पांडवों का वध कर दूंगा। यह देखकर दुर्योधन बहुत प्रसन्न हुआ और अब उसे विश्वास हो गया कि अब तो पांडव मारे जाएंगे। अब हमारी जीत अवश्य होगी। प
 
हालांकि दुर्योधन के मन में पितामह के लिए अभी भी संदेह था। वह सोच रहा था कि हो सकता है कि पांडवों के प्रेम के प्रति पितामह यह तीर का उपयोग ही नहीं करे या एक रात में ही यह तीर कहीं गायब हो जाए। इस तरह की शंका के चलते दुर्योधन को एक तरकीब दिमाग में आई। उसने पितामह से निवेदन किया कि आप आप इन पांचो तीरों को मुझे दे दीजिए। मुझे आप पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। मैं यह तीर आपको केवल तभी लौटाऊंगा, जब आप कल युद्ध के लिए तैयार होंगे। तब तक के लिए यह तीर मेरे पास सुरक्षित रहेंगे। 
 
पितामह ने दुर्योधन की बात मान ली और उसे तीर ले जाने की अनुमति  दे दी। दुर्योधन उन पांचों तीरों को लेकर अपने शिविर में वापस लौट आया और अगले दिन का इंतजार करने लगा।
 
उधर, पांडवों के शिविर में यह खबर पहुंच गई की भीष्म पितामह चमत्कारी तीर से पांडवों का वध करने वाले हैं। श्री कृष्ण यह सब जानते थे। इसलिए उन्होंने दुर्योधन पर कड़ी नजर रख रखी थी। अपने गुप्तचरों का एक समूह दुर्योधन के पीछे ही लगा रखा था। इस खबर के मिलते ही श्रीकृष्ण तुरंत अर्जुन के शिविर में पहुंच गए। श्रीकृष्ण देर रात अपने शिविर में देखर अर्जुन को आश्चर्य और घबराहट होने लगी। 
 
श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा- हे अर्जुन यह समय सोने का नहीं है। दुर्योधन ने पितामह से ऐसे तीर तैयार करवाए हैं, जो अभेद है। जिनका वार कभी भी खाली नहीं जाता, इसलिए तुम उन तीरों को प्राप्त करने की कोई युक्ति सोचो, वरना पांडवों की पराजय निश्चित है। अर्जुन कहते हैं- हे माधव आपके होते हुए पांडवों की पराजय कैसे हो सकती है?
 
श्रीकृष्ण अर्जुन को सारी बात बता देते हैं तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुम अभी जाओ और दुर्योधन से वे पांचों तीर मांग लो। अर्जुन कहता है कि आप कैसी मजाक कर रहे हैं। भला दुर्योधन मुझे वह तीर क्यों देगा? तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि याद करो तुम जब तुमने दुर्योधन को यक्ष और गंधर्वो के हमले से बचाया था। उस वक्त दुर्योधन ने तुमसे कहा था कि जिस तरह तुमने मेरी जान बचाई है मैं तुम्हें वचन देता हूं कि आवश्यकता के समय तुम मुझसे कुछ भी मांगोगे तो वह मैं तुम्हें दे दूंगा।
 
यह सुनकर अर्जुन रोमांचित हो जाता है और वह तुरंत ही दुर्योधन के पास पहुंच जाता है और वह विनम्रता पूर्वक दुर्योधन से कहता है कि आज मुझे तुम्हारी आवश्यकता है क्योंकि तुमने वचन दिया था कि तुम कभी भी तुमसे कुछ मांग लूं तो क्या तुम अब अपना वचन निभाने के लिए तैयार हो? दुर्योधन कहता है कि हां मुझे याद आ गया... मांगो तुम क्या मांगना चाहते हो? 
 
अर्जुन कहता है कि मुझे यदि तुम छत्रिय धर्म और वचन के पक्के हो तो मुझे वो 5 स्वर्णिम तीर दे तो जो तुम्हारे पास है। यह सुनकर दुर्योधन चौंक जाता है। फिर वह बड़े भारी मन से उन तीरों को अर्जुन को देकर अपना वचन निभाता है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: 4 शुभ योग में मनाई जाएगी देव उठनी एकादशी, अक्षय पुण्य की होगी प्राप्ति

Shukra Gochar 2024: शुक्र का धनु राशि में गोचर, जानिए किसे होगा लाभ और किसे नुकसान

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों करते हैं दीपदान, जानिए इसके 12 फायदे

November Horoscope: क्या आपका बर्थ डे नवंबर में है, जानें अपना व्यक्तित्व

सभी देखें

धर्म संसार

08 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

08 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Prayagraj: महाकुम्भ में रेलवे स्टेशनों पर 10 क्षेत्रीय भाषाओं में होगी उद्घोषणा

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

अगला लेख
More