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Mahabharat: अर्जुन के साथ एक रात बिताना चाहती थीं ये सुंदर अप्सरा लेकिन उसने दिया उन्हें श्राप

Apsara Urvashi: अर्जुन ने क्यों ठुकरा दिया स्वर्ग की अप्सरा का प्रणय निवेदन?

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WD Feature Desk

, शनिवार, 10 अगस्त 2024 (11:19 IST)
Mahabharata war : शास्त्रों के अनुसार देवराज इन्द्र के स्वर्ग में 11 अप्सराएं प्रमुख सेविका थीं। ये 11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, रम्भा, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति और तिलोत्तमा। इन सभी अप्सराओं की प्रधान अप्सरा रम्भा थीं। इनमें से उर्वशी ने जब अर्जुन को इंद्र की सभा में देखा तो उन पर इसकी दिल आ गया और यह अर्जुन से प्रणय निवेदन करने लगी।ALSO READ: Mahabharat : अर्जुन और दुर्योधन का श्रीकृष्ण एवं बलराम से था अजीब रिश्ता
 
पुरुरवा और उर्वशी: एक बार इन्द्र की सभा में उर्वशी के नृत्य के समय राजा पुरुरवा उसके प्रति आकृष्ट हो गए थे जिसके चलते उसकी ताल बिगड़ गई थी। इस अपराध के कारण इन्द्र ने रुष्ट होकर दोनों को मर्त्यलोक में रहने का शाप दे दिया था। मर्त्यलोक में पुरुरवा और उर्वशी कुछ शर्तों के साथ पति-पत्नी बनकर रहने लगे। दोनों के कई पुत्र हुए। इनके पुत्रों में से एक आयु के पुत्र नहुष हुए। नहुष के ययाति, संयाति, अयाति, अयति और ध्रुव प्रमुख पुत्र थे। इन्हीं में से ययाति के यदु, तुर्वसु, द्रुहु, अनु और पुरु हुए। यदु से यादव और पुरु से पौरव हुए। पुरु के वंश में ही आगे चलकर कुरु हुए और कुरु से ही कौरव हुए। भीष्म पितामह कुरुवंशी ही थे। इस तरह पांडव भी कुरुवंशी थे। पांडवों में अर्जुन भी कुरुवंशी था।ALSO READ: महाभारत के अश्वत्थामा अभी जिंदा है या कि मर गए हैं?
 
अर्जुन और उर्वशी: यही उर्वशी एक बार इन्द्र की सभा में अर्जुन को देखकर आकर्षित हो गई थी और इसने अर्जुन से प्रणय-निवेदन किया था, लेकिन अर्जुन ने कहा- 'हे देवी! हमारे पूर्वज ने आपसे विवाह करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था अतः पुरु वंश की जननी होने के नाते आप हमारी माता के तुल्य हैं...।' 
 
अर्जुन की ऐसी बातें सुनकर उर्वशी ने कहा- 'तुमने नपुंसकों जैसे वचन कहे हैं अतः मैं तुम्हें शाप देती हूं कि तुम 1 वर्ष तक पुंसत्वहीन रहोगे।'
 
यह शाप अर्जुन के लिए वरदान जैसा हो गया। अज्ञातवास के दौरान अर्जुन ने विराट नरेश के महल में किन्नर वृहन्नलला बनकर एक साल का अज्ञातवास का समय गुजारा, जिससे उसे कोई पहचान ही नहीं सका। इस दौरान उसने वहां के नरेश की राजकुमारी उत्तरा को नृत्य एवं गान की शिक्षा दी। अर्जुन के साथ ही द्रौपदी सैरंध्री बनकर रही। अन्य पांडव भी भेषबदल कर रहे थे।ALSO READ: Mahabharat : महाभारत में जिन योद्धाओं ने नहीं लड़ा था कुरुक्षेत्र का युद्ध, वे अब लड़ेंगे चौथा महायुद्ध

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