गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित 4 धामों में से 1 धाम और 7 पवित्र पुरियों में से एक पुरी है द्वारिका, जहां द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की आराधना होती है। आओ जानते हैं इससे जुड़े रहस्य और इतिहास को।
1. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा रैवतक के समुद्र तट पर कुश बिछाकर यज्ञ करने के कारण ही इस नगरी का नाम पहले कुशस्थली था।
2. हरिवंश पुराण के अनुसार कुशस्थली के उजाड़ होने के बाद श्रीकृष्ण के आदेश पर मयासुर और विश्वामित्र ने यहां एक भव्य नगर का निर्माण किया जिसका नाम द्वारिका रखा गया।
3. कई द्वारों का शहर होने के कारण द्वारिका को द्वारावती, कुशस्थली, आनर्तक, ओखा-मंडल, गोमती द्वारिका, चक्रतीर्थ, अंतरद्वीप, वारिदुर्ग, उदधिमध्य स्थान भी कहा जाता है।
4. इस नगर में विशालकाय सभा मंडप था। समुद्री व्यापार के लिए बंदरगाह भी था। कहते हैं कि शहर में सोना, रजत और रत्नों के साथ 7,00,000 महल थे। इसके अलावा वनस्पति उद्यान और झील भी थी।
5. जैन सूत्र 'अंतकृतदशांग' में द्वारका के 12 योजन लंबे, 9 योजन चौड़े विस्तार का उल्लेख है तथा इसे कुबेर द्वारा निर्मित बताया गया है और इसके वैभव और सौंदर्य के कारण इसकी तुलना अलका से की गई है।
6. बहुत से पुराणकार मानते हैं कि कृष्ण अपने 18 साथी और कुल के साथ द्वारका आए थे। यहां उन्होंने 36 साल तक राज किया। उनके देहांत के दौरान द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई और यादव कुल नष्ट हो गया।
7. यह भी कहा जाता है कि धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी और ऋषि दुर्वासा ने यदुवंश के नष्ट होने का श्राप दिया था जिसके चलते द्वारिका नष्ट हो गई थी।
8. एक मान्यता यह भी है कि यह नगर अरबी समुद्र में 6 बार डुब चुका है और वर्तमान द्वारका 7वां शहर या नगर है जिसको पुराने द्वारिका के पास पुन: स्थापित किया गया है।
9. वर्तमान की द्वारका नगरी आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित है। द्वारकाधीश मंदिर का वर्तमान स्वरूप 16वीं सदी में निर्मित हुआ था। यहां पहले कई मंदिर थे, लेकिन मुगलों ने उन्हें तोड़ दिया।
10. द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में चांदी के सिंहासन पर भगवान कृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुज प्रतिमा विराजमान है। यहां उन्हें 'रणछोड़जी' भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर की जगह पहले निजी महल और हरिगृह था।
11. वर्तमान में द्वारिका 2 हैं- गोमती द्वारिका, बेट द्वारिका। गोमती द्वारिका धाम है, बेट द्वारिका पुरी है। बेट द्वारिका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है।
12. 'द हिन्दू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1963 में सबसे पहले द्वारका नगरी का एस्कवेशन डेक्कन कॉलेज पुणे, डिपार्टमेंट ऑफ आर्कियोलॉजी और गुजरात सरकार ने मिलकर किया था। इस दौरान करीब 3,000 साल पुराने बर्तन मिले थे। इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की अंडर वॉटर आर्कियोलॉजी विंग को समंदर में कुछ ताम्बे के सिक्के और ग्रेनाइट स्ट्रक्चर भी मिले थे। इसके बाद में पूरा नगर खोज लिया गया।