पेरिस ओलंपिक में हॉकी में गोल्ड मेडल जीतेंगी हमारी बेटियां, बोले शिवराज, हॉकी हमारी जान
टोक्यों ओलंपिक में शामिल महिला हॉकी टीम के खिलाड़ियों का किया सम्मान
भोपाल। टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली महिला हॉकी टीम अगले ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतेगी। यह कहना है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने से चूकी लेकिन शानदार प्रदर्शन करने वाली महिला हॉकी टीम के सदस्यों का आज राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मान किया। राजधानी के मिंटो हॉल में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने हॉकी टीम की हर सदस्य को 31-31 लाख के चेक देकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलम्पिक में बढ़िया खेल का प्रदर्शन किया है। इन बेटियों ने देश के लोगों का दिल जीत लिया। देश के दिल मध्यप्रदेश में इन्हें सम्मानित कर हम अपने कर्तव्य पूरा कर रहे हैं। अगले ओलम्पिक में ये बेटियां जरूर गोल्ड मेडल जीत कर आएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ओलम्पिक में भारत की महिला हॉकी टीम की सदस्यों ने बहादुरी और कौशल के साथ खेल प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन से अगली प्रतियोगिताओं में भारतीय महिला हॉकी टीम के ओर भी अच्छे परफार्मेंस की आशाएं बढ़ी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम हॉकी नही छोड़ सकते,क्योंकि हॉकी हमारी जान है। हॉकी को प्रोत्साहन करने के लिए हम वर्ल्ड क्लास स्टेडियम बनाएंगे, ताकि किसी भी सुविधाओं की कोई कसर न रहे।
खिलाड़ियों के साथ सीएम का सफर- मुख्यमंत्री ने भारतीय महिला हॉकी टीम के खिलाड़ियों के साथ बस में सफर करते हुए महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल से बातचीत भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि “बेटा-बेटी में भेदभाव दूर होना चाहिए। मैं सोचता था कि कुछ ऐसा हो कि बेटा-बेटी बराबर रहें। 2005 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तब मैंने लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई। हमने तय किया बेटा मध्यप्रदेश में लखपति पैदा होगी। बेटी जैसे ही पैदा होगी मैं उसके अकाउंट पैसे डालूंगा, फिर इसे पढ़ाई से जोड़ दिया। मैंने तय किया था मध्यप्रदेश की धरती पर लड़की पैदा होगी तो लखपति पैदा होगी, लाड़ली लक्ष्मी योजना काफी पॉपुलर रही"।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि "फिर मुझे लगा शादी में बेटी की दिक्कत है तो उसकी भी व्यवस्था की। मैंने मप्र में यह तय कर दिया कि बेटा-बेटी के पैदा होने से पहले ही, गर्भवती बहन को 4000 रुपए, वो ढंग से खाना खा सके, और जन्म लेने के बाद 12000 रुपए हम दे। फिर बेटी स्कूल जाये, तो किताबें, स्कूल दूर है तो साइकिल, स्कूल ड्रेस, स्कॉलरशिप देने गांव की बेटी योजना बनाई। मैंने दिल से सभी बेटियों को योजनाओं से जोड़ दिया, मेरे दिल में यह बात थी कि यह भेद नहीं होना चाहिए कि बेटा कुलदीपक है, और बेटियां बोझ। मेरा दिल से बेटियों से लगाव है, उनके कल्याण के लिए कई स्कीम बनाते चला गया। जब मैनें देखा कि ह़ॉकी की बेटियां परेशानी में हैं तो मैंने तुरंत मदद की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, अब स्थिति बदल रही है बेटा बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगा या नहीं इस बात की मैं गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन, बेटी जब तक जिंदा रहेगी उसकी हर सांस मां बाप के लिए चलेगी"।