उज्जैन में इंसानियत को शर्मशार करने देने वाली नाबालिग से दरिंदगी के मामले में पीड़िता की हालत में अब सुधार हो रहा है। डॉक्टरों की एक टीम लगातार मासूम की स्थिति पर नजर रखी हुई है। वहीं पीड़िता की मानसिक हालत को देखते हुए उसके किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। वहीं पुलिस ने पूरे मामले में मुख्य आरोपी ऑटो चालक भरत सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने पुलिस की गिरफ्त से भागने की कोशिश की और डिवाइडर से टकरा कर उसके पैर में चोट लग गई।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उज्जैन में मासूम बिटिया के साथ अक्षम्य अपराध करने वाले अपराधी भरत को गिरफ्तार कर लिया गया है। अपराधी को कठोरतम दंड दिया जाएगा। मैं खुद लगातार हर घंटे स्थिति पता कर रहा था। इस तरह के अपराधी समाज में रहने लायक नहीं है। उसने मध्यप्रदेश की आत्मा को घायल किया है। बेटी मध्यप्रदेश की बेटी है उसकी हर तरह से हम चिंता करेंगे लेकिन ऐसे अपराधी को कठरोतम दंड मिले उसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
वहीं उज्जैन की घटना पर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूरे मामले पर राज्य सरकार को घेरते हुए सोशल मीडिया पर लिखा “मध्य प्रदेश में एक 12 साल की बच्ची के साथ हुआ भयावह अपराध, भारत माता के हृदय पर आघात है।
महिलाओं के खिलाफ़ अपराध और नाबालिग बच्चियों के खिलाफ़ हुए दुष्कर्म की संख्या सबसे ज़्यादा मध्य प्रदेश में है। इसके गुनहगार वो अपराधी तो हैं ही जिन्होंने ये गुनाह किए। साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकार भी है, जो बेटियों की रक्षा करने में अक्षम है। न न्याय है, न कानून व्यवस्था और न अधिकार - आज, मध्य प्रदेश की बेटियों की स्थिति से पूरा देश शर्मसार है। मगर, प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री में बिल्कुल शर्म नहीं है - चुनावी भाषण, खोखले वादों और झूठे नारों के बीच बेटियों की चीखें उन्होंने दबा दी हैं”
NCPCR ने तलब की रिपोर्ट-राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक क़ानूनगो ने कहा कि इंसानियत को शर्मशार कर देने वाली घटना पर आयोग ने कलेक्टर और राज्य सरकार से पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब की है। वहीं एसपी से FIR की कॉपी, बच्ची के बयान की कॉपी और घटना का ब्योरा से मांगा है। उन्होंने कहा कि आयोग की सदस्य डॉक्टर दिव्या गुप्ता ने इंदौर में जिस अस्पताल में बच्ची का इलाज चल रहा है, वहां के डीन और डॉक्टरों से बच्ची की स्थिति में जानकारी ली है। बच्ची मानसिक ट्रामा में है ऐसे में उस से भेंट का प्रयास अनुचित है अतः भेंट नहीं की है। अस्पताल में राजनैतिक दल के नेता वीडियो बनाने के लिए आ रहे हैं,आयोग की सदस्य ने ऐसी ही कांग्रेस पार्टी की एक नेत्री को वहाँ भीड़ न लगाने का आग्रह कर उनको वापिस भेजा है।
मदद नहीं करने वाले भी अपराधी- वहीं उज्जैन में 12 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना पर चाइल्ड राइट्स एंड यू की क्षेत्रीय निदेशक (क्राई) सोहा मोइत्रा ने कहा कि “ मीडिया द्वारा दिखाए गए चित्र दिल दहला देने वाले है। इतनी गंभीर स्तिथि मे भी वो असहाय बच्ची घंटों तक मदद मांगने के लिए घर-घर भटकती रही लेकिन किसी ने बाहर निकलकर मदद करने की जहमत नहीं उठाई। बल्कि, उनमें से कुछ ने उसे भगा देना उचित समझा। यह उस प्रचलित सामाजिक मानसिकता को दर्शाता है जहां मानवता की स्पष्ट कमी नज़र आती है और लोग संकट में फंसी एक बच्ची की मदद के लिए आने की जहमत भी नहीं उठाते हैं।''
उन्होंने कहा कि “एक तरफ, यह बड़े पैमाने पर लोगों की लापरवाही को दर्शाता है, और सामाजिक धारणा को भी दर्शाता है, जो एक तरह से बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में वृद्धि के पीछे अंतर्निहित कारणों में से एक है। यही नहीं, लोगों मे ऐसे मामलों की रिपोर्ट पुलिस को करने में स्पष्ट अनिच्छा दिखी, जो लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) में उल्लिखित मौजूदा कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूकता की कमी और गलत जानकारी को दर्शाता है।”
कानूनी प्रावधानों के बारे में बताते हुए सोहा ने कहा, “यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 स्पष्ट रूप से कहता है कि कोई भी व्यक्ति (बच्चे सहित), जिसे यह आशंका है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध होने की संभावना है या उसे जानकारी है कि ऐसा अपराध किया गया है, वह विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट करने के लिए बाध्य है।
उन्होंने कहा, "अधिनियम यह भी कहता है कि कोई भी व्यक्ति, जो इस तरह के अपराध के होने की रिपोर्ट या दर्ज करने में विफल रहता है, उसे 6 माह का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। इस मामले में जिन लोगों ने बच्ची की स्थिति देखते हुए भी उसकी रिपोर्ट करना उचित नहीं समझा वह भी जाने-अनजाने अपराध के भागीदार बन गए हैं। इस प्रकार, उन्हें भी पॉक्सो अधिनियम के तहत सजा दी जानी चाहिए”।
मासूमों के साथ अपराध में मध्यप्रदेश टॉप पर-एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में औसतन हर तीन घंटे में एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्यप्रदेश में बच्चियों के साथ रेप के 3515 मामले दर्ज हुए। जबकि देश में यह आंकड़ा 33036 है।
बच्चों के साथ अपराध में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए है। NCRB के डेटा के मुताबिक 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 19,173 केस दर्ज किए गए है जो कि देश में सबसे अधिक है। चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चों के साथ अपराध में मध्यप्रदेश में पिछले एक दशक में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है।
10 साल में 337% वृद्धि बढ़ा बच्चों के खिलाफ क्राइम- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि मध्य प्रदेश ने साल दर साल बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि दर्ज की है और पिछले एक दशक (2011-2021) में बच्चों के खिलाफ अपराध में 337% फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध के NCRB के डेटा के मुताबिक 2011 में कुल मामलों की संख्या 4,383 थी जो 2021 में बढ़कर 19,173 हो गई है।
बच्चों के खिलाफ एक दिन में सबसे अधिक केस-NCRB के डेटा के मुताबिक 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 19,173 केस दर्ज किए गए है जो कि देश में सबसे अधिक है। NCRB का डेटा कहता है कि मध्यप्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध के हर दिन 52 से अधिक मामले दर्ज होते है जोकि देश में सबसे अधिक है। बच्चों के खिलाफ प्रति दिन दर्ज होने वाले अपराध का यह आकंड़ा देश में सबसे अधिक है। इतना ही नहीं राज्य में पिछले वर्ष की तुलना में बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या में 11.3% की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में राज्य में बच्चों के खिलाफ अपराधों के 17,008 मामले दर्ज किए गए। साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 19,173 हो गया।
अपहरण के मामले में देश में दूसरा स्थान-एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में 2021 में बच्चों के अपहरण के मामले में 9,137 के दर्ज किए गए है जोकि देश में दूसरी सबसे अधिक संख्या है। चिंताजनक बात यह है कि बच्चों के अपहरण के मामले में मध्यप्रदेश का औसत राष्ट्रीय औसत से दोगुना है। वहीं 2020 के तुलना में 6.2 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं राज्य में बच्चों के खिलाफ कुल अपराध के मामले में 31.7 प्रतिशत मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए है। वहीं 2020 की तुलना में पॉक्सो के मामलों में लगभग 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य में नाबालिगों के साथ यौन शोषण के मामले तेजी से बढ़े है।