पन्ना। मध्यप्रदेश में 22 दिन से जारी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल और तेज हो गई है। नौकरी से बर्खास्तगी के आदेश का कोई असर नहीं हुआ और इसका असर तो स्वास्थ्य सेवाओं में पड़ने लगा है। पन्ना में दो दर्जन नवजात बच्चों की मौत हो गई और ग्रामीण अंचलों की सेवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
जिला चिकित्सालय की गहन शिशु चिकित्सा इकाई के प्रभारी डॉक्टर ने कहा कि 8 बच्चों की मौत हुई है। एडमिशन प्रभावित हुआ है, बच्चे नहीं आ रहे।
पन्ना जिले में संपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं शासकीय अस्पतालों पर निर्भर होने के कारण यहां सबसे ज्यादा असर दिखाई दे रहा है क्योंकि जिले में एक भी प्राइवेट अस्पताल नहीं है लिहाजा मरीज इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। वही 12 मार्च तक जॉइन न करने वाले कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश का कोई असर नहीं दिखा।
सीएमओ कार्यालय के सामने बैठे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की। 'हमारी भूल कमल का फूल' और 'नियमितीकरण कब करोगे मर जाएंगे तब करोगे' जैसे नारे लगाए। कर्मचारियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों पर इसका बुरा असर हुआ है और यहां दो दर्जन नवजात बच्चों की मौत हो गई है।
आश्वासन के बीच विभागीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए बर्खास्तगी के अल्टीमेटम का और बुरा प्रभाव कर्मचारियों पर पड़ रहा है और संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अब आर-पार की लड़ाई में उतर आए हैं और इस बार किसी भी स्थिति में बिना मांगे मनवाए हड़ताल खत्म करने के मूड में नहीं है।