धार-महेशवर (मप्र)। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल माण्डू के दौरे पर आई अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिटंन सोमवार को यहां ऐतहासिक होशांग शाह के मकबरे की सीढ़ियां उतरते समय दो दफा फिसल गईं। गनीमत रही कि फिसलने के बाद भी हिलेरी चोटिल नहीं हुई।
हिलेरी के गाइड विश्वनाथ तिवारी ने बताया, ‘हां, होशांग शाह के मकबरे की सीढ़ियां उतरते समय वह दो बार फिसल गई थीं।’ आज रात इस घटना का एक वीडियो भी वाट्सअप पर वायरल हो गया।
तिवारी ने कहा कि मकबरे की सीढ़ियों के बारे में उन्हें पहले ही सावधान कर दिया गया था, इसलिए सीढ़ियां उतरने के समय एक व्यक्ति सहायता के लिए उनके साथ था, लेकिन फिर भी वह फिसल गई, लेकिन एक व्यक्ति ने उन्हें संभाल लिया। शायद वह अपने सेंडिल की वजह से असंतुलित हुई, लेकिन दूसरी बार असंतुलित होने पर उन्होंने अपना सेंडिल निकाल दिया और सीढ़ियां उतरने के बाद उन्होंने उसे फिर पहन लिया। इसके बाद वह आगे रवाना हो गई।
हिलेरी ने अपनी माण्डू यात्रा के दौरान यहां के प्रसिद्ध स्मारकों रानी रूपमति महल, जहाज महल, हिंडोला महल, होशंग शाह का मकबरा और जामा मस्जिद का भी अवलोकन किया। हिलेरी यहां महेश्वर एवं इन्दौर के पूर्व होलकर शासकों के वंशज रिजर्ड होलकर के निमंत्रण पर महेश्वर एवं मांडव की तीन दिवसीय यात्रा पर आई हुई थी। हिलेरी रात्रि विश्राम महेश्वर में ही कर रही हैं। मंगलवार की सुबह वे इंदौर रवाना होंगी। यहां से वे जोधपुर जाएंगी और पर्यटन स्थल देखेंगी।
माण्डू यात्रा के दौरान हिलेरी ने काला चश्मा और कैप पहने हुई थी क्योंकि यहां चिलचिलाती गर्मी थी। इस गर्मी में भी उन्होंने उत्साह से यहां के ऐतिहासिक स्थलों का अवलोकन किया।
माण्डू में जहाज महल के देखने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने यहां के शानदार पुरातात्विक स्थल देखे और आनंद भी लिया। मैंने भारतीय इतिहास की बारे में बहुत कुछ जाना और मैंने जो यहां देखा उससे मैं बहुत उत्साहित हूं। हिलेरी ने उनके रसोइये द्वारा महेश्वर में बनाया गया भोजन यहां माण्डू में किया।
माण्डू भ्रमण के बाद वे यहां से 10 किलोमीटर दूर पुन: महेश्वर पहुंची, जहां उन्होंने होलकर शासक अहिल्याबाई होलकर द्वारा शुरू कराई गई प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ियों के बुनकरों से भी मुलाकात की। यही नहीं उन्होंने नर्मदा नदी में नौका विहार किया।
सनद रहे कि हिलेरी रविवार रात 8 बजे इंदौर पहुंचीं थीं। यहां से 8.25 बजे सड़क मार्ग से वे महेश्वर के लिए रवाना हुई। कड़ी सुरक्षा के बीच वे सीधे राजवाड़ा परिसर में बने होटल अहिल्या फोर्ट गई जहां उनका स्वागत शिवाजीराव होलकर (प्रिंस रिचर्ड होलकर) ने किया। असल में भारत पहुंची हिलेरी को अमेरिका जाना था लेकिन प्रिंस रिचर्ड होलकर के विशेष आग्रह पर उन्होंने अपने कार्यक्रम में परिवर्तन कर मप्र में सबसे पहले महेश्वर यात्रा को चुना।
हिलेरी की सादगी ने यहां के अधिकारियों को हैरत में डाल दिया। महेश्वर में विश्राम के लिए उन्होंने बिलकुल साधारण कमरा पसंद। होटल अहिल्या फोर्ट के लक्जरी रूम को हिलेरी के साथ आए सुरक्षाकर्मियों ने सुरक्षा की दृष्टि से रिजेक्ट कर दिया। होटल के दक्षिणी छोर पर किले के झरोखे से नर्मदा दर्शन वाला कमरा भी सुरक्षा कारणों से नहीं लिया गया।
किला परिसर के बीचोबीच बने कमरे बुलबुल, कचनार और चंपा को हिलेरी के रुकने के लिए तैयार किया गया है। इनमें से एक कमरा उनके साथ आए सुरक्षाकर्मी ऐन वक्त पर तय करेंगे। अहिल्या फोर्ट में कमरों को नंबर के बजाय उनके आगे वृक्ष, चिडि़या के घोंसले सहित अन्य कोई प्रतीक चिन्ह के नाम से जाना जाता है। यहां रात्रि भोज में भारतीय, नेपाली और कॉन्टिनेंटल व्यंजन बनाए गए। भोजन में खासतौर पर आम रस रखा गया था।