Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

इंदौर की परंपरागत गेर पर लगेगी UNESCO की छाप, सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर पेश करने का दावा

हमें फॉलो करें इंदौर की परंपरागत गेर पर लगेगी UNESCO की छाप, सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर पेश करने का दावा
, सोमवार, 9 मार्च 2020 (11:04 IST)
इंदौर (मध्यप्रदेश)। फागुनी मस्ती के माहौल में यहां रंगपंचमी पर हर साल निकाली जाने वाली गेर (GER : होली का पारंपरिक जुलूस) को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन यूनेस्को को जल्द नामांकन भिजवाने जा रहा है। इसके जरिए इस पारंपरिक आयोजन को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर यूनेस्को की सूची में शामिल करने का दावा पेश किया जाएगा।
यूनेस्को की मान्यता दिलाने का प्रयास : कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने सोमवार को कहा कि हम गेर को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में यूनेस्को की मान्यता दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए नई दिल्ली की संगीत नाटक अकादमी के जरिए यूनेस्को को जल्द ही नामांकन भिजवाया जाएगा। संगीत नाटक अकादमी को भारत में इस काम के लिए नोडल केंद्र का दर्जा प्राप्त है।
webdunia
ठेठ रिवायती अंदाज में पेश करने की तैयारी : उन्होंने बताया कि गेर के संबंध में भिजवाए जाने वाले नामांकन को यूनेस्को के परखने के बाद इस पर उसके अंतिम निर्णय में करीब डेढ़ साल का समय लग सकता है। बहरहाल, इस बार 14 मार्च को पड़ने वाली रंगपंचमी पर गेर को ठेठ रिवायती अंदाज में पेश करने की तैयारी की जा रही है।
 
होलकरकालीन स्वरूप कायम करने का प्रयास : कलेक्टर ने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि गेर का होलकरकालीन स्वरूप कायम रहे और लोग इसमें पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर हर्बल रंगों का इस्तेमाल करें। गेर के करीब 2 किलोमीटर के रास्ते पर दोनों ओर की बहुमंजिला इमारतों की छतों पर सैलानियों को बैठाने के इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि वे रंगों के इस नजारे को बेहतर तरीके से निहार सकें।
webdunia
होलकर राजवंश की गेर : जानकारों ने बताया कि मध्यप्रदेश के इस उत्सवधर्मी शहर में गेर की परंपरा रियासतकाल में शुरू हुई, जब होलकर राजवंश के लोग रंगपंचमी पर आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे। तब गेर में बैलगाड़ियों का बड़ा काफिला होता था जिन पर टेसू के फूलों और अन्य हर्बल वस्तुओं से तैयार रंगों की कड़ाही रखी होती थी। यह रंग गेर में शामिल होने वाले लोगों पर बड़ी-बड़ी पिचकारियों से बरसाया जाता था।
 
उनके मुताबिक इस परंपरा का एक मकसद समाज के हर तबके के लोगों को रंगों के त्योहार की सामूहिक मस्ती में डूबने का मौका मुहैया कराना भी था। राजे-रजवाड़ों का शासन खत्म होने के बावजूद इंदौर के लोगों ने इस रंगीन रिवायत को अपने सीने से लगा रखा है।
 
फाग यात्रा के नाम से जाना जाता है : गेर को फाग यात्रा के रूप में भी जाना जाता है जिसमें हजारों हुरियारे बगैर किसी औपचारिक बुलावे के उमड़कर फागुनी मस्ती में डूबते हैं। रंगपंचमी पर यह रंगारंग जुलूस शहर के अलग-अलग हिस्सों से गुजरते हुए ऐतिहासिक राजबाड़ा (इंदौर के पूर्व होलकर शासकों का महल) के सामने पहुंचता है, जहां रंग-गुलाल की चौतरफा बौछारों के बीच हजारों हुरियारों का आनंद में डूबा समूह कमाल का मंजर पेश करता है। (फ़ाइल चित्र)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सऊदी अरब की घोषणा के बाद तेल के दामों में भारी गिरावट