भोपाल। मध्य प्रदेश में नागरिकता संशोशन कानून को लेकर अब कमलनाथ सरकार मोदी सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में आ गई है। बुधवार को मंत्रालय में हुई कमलनाथ कैबिनेट की बैठक में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ एक संकल्प प्रस्ताव पास कर कानून का विरोध किया गया। राज्य सरकार कैबिनेट से पारित शासकीय संकल्प को केंद्र सरकार को भेज कर नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग की है। कैबिनेट की बैठक के बाद जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए पूरे फैसले की जानकारी दी।
CAA के खिलाफ शासकीय संकल्प – कमलनाथ कैबिनेट ने जिस शासकीय संकल्प को पास किया है उसमें कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्षता का जिक्र करते हुए कहा कि है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों को समानता का अधिकार है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि संसद में नागरिकता संशोधन अधिनियम के जिस प्रस्ताव को पास किया गया है वह धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद को दिखाता है जो कि संविधान में वर्णित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है। जिससे देश का पंथनिरपेक्ष स्वरूप एंव सहिष्णुता का तानाबाना खतरे में पड़ गया है। कमलनाथ कैबिनेट में पास शासकीय संकल्प में केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग की गई है।
भाजपा ने जताया विरोध – कमलनाथ कैबिनेट में CAA के विरोध में प्रस्ताव पेश होने के बाद भाजपा हमलावर हो गई है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने प्रस्ताव का हास्यास्पद बताते हुए कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नागरिकता केंद्र सरकार का विषय है और इस पर मोदी सरकार निर्णय ले चुकी है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि वोट बैंक के तुष्टिकरण के लिए कमलनाथ सरकार संविधान का अपमान कर रही है।