भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा को बड़ा झटका देकर कमलनाथ सरकार को समर्थन देने वाले भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने ऐसा कदम क्यों उठाया? अब राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोर शोर से होने लगी है।
ऐसे समय में जब पूरे देश में भाजपा राजनीतिक रुप से चरम पर और कांग्रेस ढाल पर है तब ऐसे क्या कारण रहे कि इन दोनों भाजपा विधायकों का अपनी पार्टी से मोहभंग हो गया। बुधवार को विधानसभा में कांग्रेस के साथ आने के बाद दोनों विधायकों ने भाजपा पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया और इसे अपनी घर वापसी करार दिया। वहीं बेहतर फ्लोर मैनेजमेंट के लिए पहचानी जाने वाली मध्य प्रदेश भाजपा के नेता क्या वकाई चूक गए या उन्होंने जानबूझकर इसको अनदेखा किया।
लोकसभा चुनाव से जुड़े तार – सदन में कांग्रेस का समर्थन देने वाले विधायक नारायण त्रिपाठी लोकसभा चुनाव के समय से ही पार्टी से नाराज चल रहे थे । लोकसभा चुनाव के समय सतना से भाजपा उम्मीदवार गणेश सिंह और विधायक नारायण त्रिपाठी के बीच अनबन की खबरें किसी से छिपी नहीं थी । इतना ही नहीं सार्वजनिक मंच पर ही दोनों नेता कई बार आमने सामने आ गए थे।
नारायण त्रिपाठी ने गणेश सिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक लंबी चौड़ी पोस्ट भी लिखी थी और इस पूरे मामले की शिकायत पार्टी संगठन के बड़े नेताओं से भी की थी लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं ने नारायण त्रिपाठी की शिकायत को अनसुना करते हुए उन्हें एक तरह से दरकिनार कर दिया था। इसके बाद नारायण त्रिपाठी पार्टी से नाराज चल रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार धमेंद पैगवार कहते हैं कि भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी का कांग्रेस के खेमे में जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण लोकसभा चुनाव के समय उनका गणेश सिंह से हुई खींचतान है और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने जिस तरह इस पूरे मामले को अनदेखा किया वह अब निश्चित तौर पर नए सियासी घटनाक्रम के बाद सवालों के घेरे में है।
कांग्रेस से पुराना नाता – भाजपा से बगावत करने वाले दोनों विधायक पुराने कांग्रेसी है। सतना के मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था लेकिन बाद में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा था और इस बार 2018 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे वहीं ब्यौहारी से भाजपा विधायक शरद कौल का भी कांग्रेस से पुराना नाता है। इसलिए दोनों विधायक कांग्रेस के साथ जाने को अपनी घर वापसी बता रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ट्वीट कर इस विधायकों की घर वापसी बताते हुए बधाई दी है।
भाजपा में बड़े नेताओं में खींचतान – विधायकों की इस बगावत के पीछे पार्टी के बड़े नेताओं की खींचतान को भी राजनीति के जानकार जिम्मेदार बता रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार धमेंद्र पैगवार कहते हैं कि भाजपा में जिस तरह बड़े नेताओं के मनमुटाव और हर किसी का मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल होना पार्टी के विधायकों का मोहभंग होने का बड़ा कारण है।
लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओं की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भी पार्टी की यह गुटबाजी दिखाई दी, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कई बार विधायकों को सदन मे पूरे समय उपस्थित होने का निर्देश दिया लेकिन सत्र के दौरान अधिकांश समय विपक्ष की बेंच खाली खाली ही नजर आई।