भोपाल। कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस सरकार को गिराने के बदला मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में ले लिया। जहां मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मास्टर स्ट्रोक चलते हुए एक तरह से सदन में न केवल अपना बहुमत शामिल कर लिया बल्कि भाजपा में सेंध लगाते हुए उसके दो विधायकों को अपने पाले में ले आए।
इस तरह मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने सियासी मैनेजमेंट का कौशल दिखा दिया है। ऐसा नहीं सदन में जो कुछ हुआ वह अचानक हुआ। इस पूरे सियासी घटनाक्रम की पटकथा मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही लिख चुके थे। सदन में प्रश्नकाल शुरू होते ही सत्ता पक्ष की सभी कुर्सियां भरी नजर आई। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरी रणनीति के साथ विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का खुला चैलेंज सदन में दे रहे थे।
प्रश्नकाल के खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री ने हेलिकॉप्टर खरीदने के मामले पर चर्चा करते हुए विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने का चैलेंज दे दिया। सदन में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक तरह करीब तीन से चार बार भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव लाने की चुनौती दी लेकिन भाजपा नेता केवल बढ़-चढ़कर दावे करते रहे।
एक ओर नेता प्रतिपक्ष सदन में कमलनाथ सरकार को 24 घंटे में गिराने का दावा कर रहे थे तो मुख्यमंत्री कमलनाथ खुला चैलेंज दे रहे थे कि सदन में वह बहुमत परीक्षण के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद सियासत के जानकार भी इस बात के कयास लगा रहे थे कि सरकार अपने बहुमत को लेकर पूरी तरह निंश्चित है। वहीं भाजपा पर इस बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अब दूध का दूख पानी का पानी हो गया है और यह विधेयक पर मतदान नहीं बल्कि बहुमत परीक्षण है।
वहीं इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद भाजपा पूरी तरह बैक फुट पर आ गई है। इस पूरे सियासी घटनाक्रम के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लोकतंत्र का गला घोंटा गया है वहीं नेता प्रतिपक्षा गोपाल भार्गव ने मतदान पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा ने तो मतदान की मांग ही नहीं की तो कैसा बहुमत परीक्षण।