Doctors Strike:मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पदस्थ 10 हजार से अधिक डॉक्टर आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। एक साथ डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। हड़ताल के चलते मेडिकल कॉलेजों, सरकारी अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमरा गई है। वहीं डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद स्थानीय प्रशासन निजी अस्पताल के डॉक्टरों की सेवाएं लेने के साथ गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को निजी अस्पताल रेफर करने की भी तैयारी कर रखी है।
अगर बात राजधानी भोपाल की करें तो राजधानी के दोनों बड़े सरकारी अस्पतालों हमीदिया और जय प्रकाश अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल का खासा असर देखा गया। आम दिनों के तुलना में मरीज अस्पताल कम पहुंच रहे है वहीं जो मरीज पहुंच रहे है उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा रहा है। डॉक्टरों की हड़ताल के बाद जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी सुबह अस्पताल पहुंचे और व्यवस्थाओं का देखा।
भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह सुबह हमीदिया अस्पताल पहुंचे और व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। हमीदिया अस्पताल में डेढ़ सौ से अधिक निजी डॉक्टरों को तैनात किया गया है, वहीं अस्पताल के निरीक्षण के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने दावा किया कि अस्पताल में सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से जारी है। वहीं इमरजेंसी केस में मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा जहां उनका इलाज सरकारी खर्च पर होगा। इसके लिए राजधानी भोपाल के चिरायु, आरकेडीएफ और जेके अस्पताल में डेढ़ हजार बेडों की व्यवस्था की गई है।
सरकार की डॉक्टरों से अपील–मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग ने कहा कि डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से लगातार बातचीत जारी है और सरकार ने डॉक्टरों की सभी मांगे लगभग मान ली है। उन्होंने कहा कि जब डॉक्टरों की मांगों पर विचार के लिए सरकार ने हाईपवार कमेटी बनाई और डॉक्टरों की 95 फीसदी मांगों पर सहमति हो गई है। डॉक्टरों की एक-दो मांगों पर गतिरोध बना हुआ है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने डॉक्टरों से अपील की मरीजों के हित में डॉक्टर्स हड़ताल पर नहीं जाए, सरकार उनकी संभी मांगे मनाने के लिए तैयार है।
वहीं इससे पहले डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए मंगलवार रात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद स्थिति की समीक्षा करने के साथ प्रदेश के सभी कलेक्टर्स और कमिश्नर्स को शासकीय अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी और सुचारू रूप से जारी ऱखने के लिए आवश्यक इंतजाम करने के निर्देश दिए।
क्या है डॉक्टरों की मांग?-प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के 10 हजार से अधिक डॉक्टरों के हड़ताल जाने का मुख्य कारण केंद्र के साथ अन्य राज्यों की तर्ज पर मध्यप्रदेश के चिकित्सकों के लिए DACP योजना का प्रावधान हो। इसे साथ करने और स्वास्थ्य विभाग,चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियां दूर करने की मांग शामिल है।
वहीं हड़ताल पर गए डॉक्टर्स की मांग है कि चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए। वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (MBBS) की MPPSC के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति / चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन करने के साथ जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि और ट्यूशन फीस जो कि देश में सर्वाधिक है, को कम किया जाए। इसके साथ विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र डॉक्टरों का वेतन समकक्ष संविदा डॉक्टरों के समान किया जाए।