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गलत इतिहास बदल देंगे जो सही है वो सामने लायेंगे, बोले CM शिवराज, महाराणा प्रताप स्मारक का किया शिलान्यास

हमें फॉलो करें गलत इतिहास बदल देंगे जो सही है वो सामने लायेंगे, बोले CM शिवराज, महाराणा प्रताप स्मारक का किया शिलान्यास
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विकास सिंह

, गुरुवार, 28 सितम्बर 2023 (15:59 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार अब महापुरुषों के इतिहास को सही तरीके से लोगों के सामने लाएगी। राजधानी भोपाल में महाराणा प्रताप स्मारक के शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमें गलत इतिहास पढ़ाया गया। अकबर महान हो गए और महाराणा प्रताप की सही जीवनी भी नहीं पढ़ाई। हम इतिहास बदल देंगे जो सही है वो सामने लायेंगे। सरकार का काम केवल पुल-पुलिया बनाना नहीं है, आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देना और सही ढंग से इतिहास पढ़ाना भी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है, ये तो भावात्मक कार्यक्रम है। महाराणा प्रताप की सेना में हर जाति और समाज के लोग थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में एलान किया कि छतरपुर जिले में महाराज छत्रसाल के समाधी स्थल महूँ सहानिया में उनके जीवन और अवधान पर भी एक भव्य स्मारक बनाया जाएगा, लाईट एंड साउंड शो भी वहां होगा। इसके साथ  धुबेला में वर्तमान संग्रहालय का सुसज्जितकरण भी किया जाएगा।

महाराणा प्रताप स्मारक के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज ऐसा लग रहा है कि जीवन सार्थक और सफल हो गया है, मेरा मुख्यमंत्री बनना सार्थक और सफल हो गया है। हम सौभाग्यशाली है कि हम इस पल के साक्षी बन रहे है। महाराणा प्रताप अद्भुत वीर थे। महाराणा प्रताप का नाम लेते ही रोम-रोम पुलकित हो जाता है, वो मेवाड़ के मुकुट मणि नहीं, वो तो भारत के मुकुट मणि है। वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम, दृढ़ संकल्प और प्रण के लिए अमर है महाराणा प्रताप, जब तक सूरज चाँद सचमुच में रहेगा, तब तक महाराणा प्रताप का नाम अमर रहेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप की वीरता ऐसी थी कि मुगल इनके नाम से कांपते थे। उनकी माँ ने बचपन से महाराणा प्रताप को सीख दी थी कि निहत्थे पर कभी वार मत करो, पहले उसे तलवार दो, फिर पराक्रम करो। वो 72 किलो का कवच, 80 किलो का भाला और दो तलवार लेकर रण में उतरते थे। महाराणा प्रताप थे जिन्होंने छापा मार युद्ध शुरू किया था, उन्होंने कहा था कि घास फूस खा लूँगा, लेकिन मेवाड़ की स्वाधीनता से समझौता नहीं करूँगा।1579 में पूरा मेवाड़ वापस ले लिया था। 1597 में महाराणा चोटिल हुए और अंतिम सांस ली थी, तब उनके शत्रु भी रो पड़े थे और कहा था कि ऐसा वीर हमने नहीं देखा।

ऐसे बनेगा महाराणा प्रताप स्मारक-
-महाराणा प्रताप का स्मारक और महाराणा प्रताप लोक की संरचना कुम्भलगढ़ दुर्ग से प्रेरित होगा।
-महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा लगेगी है,इसके साथ ही अन्य के जीवन चरित्र की भी प्रदर्शनी लगेगी। 
 -महाराणा प्रताप की 20 मिनट की फिल्म और उसके प्रदर्शन के लिए एक इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनेगा।
-मेवाड़ एवं महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रदर्शित गैलरी बनेगी।
-लैंड स्केप एरिया में खुली गैलरियों के माध्यम से महाराणा प्रताप द्वारा वन में व्यतीत किए गए कालखंड का पूरा प्रदर्शन किया जाएगा।
-चितौड़ में महाराणा कुम्भा द्वारा बनाये गए विजय स्तम्भ की प्रतिकृति भी लगेगी।
-2000 लोगों के बैठने के लिए एक आकाशीय मंच होगा, जहाँ महाराणा प्रताप जी के शौर्य, पराक्रम, त्याग और बलिदान पर आधारित लाईट एंड साउंड शो भी होगा।
-निकास मार्ग पर प्रमुख युद्धों के भित्ति-चित्रों की प्रदर्शनी होगी।
-त्रिडी कलाकृतियों का चित्रण होगा और आने-जाने वाले लोगों के लिएकैफेट एरिया और अन्य चीजे जो आवश्यक है वो बनाई जाएगी। 

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