इंदौर। मध्यप्रदेश में करीब 6 लाख 75 हजार अपात्र मतदाता होने के खुलासे के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने माना कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में कहीं न कहीं भूल हुई है। इसके साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सूबे की मतदाता सूची को पूरी तरह सही कर लिया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि विधानसभा चुनावों से चंद महीने पहले प्रदेश में अपात्र मतदाताओं के बड़ी तादाद के खुलासे को वे कितना गंभीर मानते हैं, तो रावत ने यहां मीडिया से कहा कि (मतदाता सूची के पुनरीक्षण में) कहीं न कहीं कुछ भूल हुई है। जांच के बाद मतदाता सूची से अपात्र नामों को हटाया जाएगा। इसके साथ ही नए पात्र नामों को इस फेहरिस्त में जोड़ा जाएगा ताकि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बिलकुल सही मतदाता सूची तैयार की जा सके।
उन्होंने कहा कि इस मामले में आप यूं भी सोचिए कि प्रदेश में 5 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं यानी मतदान के लिए अपात्र पाए गए 6.65 लाख लोगों की संख्या (मतदाताओं की कुल तादाद के मुकाबले) आनुपातिक तौर पर काफी कम है। अपात्र मतदाताओं में ज्यादातर नाम उनके हैं जिनकी मौत हो चुकी है। इसके बावजूद उनका नाम मतदाता सूची से हटाया नहीं गया है।
रावत ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए मतदाता सूची की शुद्धता प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जाएगी। इस सिलसिले में राजनीतिक दलों के साथ सभी संबंधित पक्षों से सुझाव लिए जाएंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि मतदाताओं के नामों को उनकी आधार संख्या से जोड़ा जा रहा है। देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराए जाने की जोर पकड़ती मांग पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि जब तक संविधान और कानून में उचित संशोधन नहीं हो जाता, इस विषय में हमारी ओर से कोई भी टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा।
मीडिया से बातचीत से पहले रावत ने यहां एक बैठक में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत 7 मान्यताप्राप्त दलों के नेताओं से मतदाता सूची और चुनाव प्रणाली के विषय में सुझाव लिए। इसके आधार पर अधिकारियों को उचित निर्देश दिए।
हालिया सरकारी विज्ञप्ति में मध्यप्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह के हवाले से कहा गया कि अपात्र मतदाताओं का नाम हटवाने के लिए चलाए गए विशेष अभियान से मिली जानकारी के अनुसार मतदाता सूची में अनुपस्थित, स्थानांतरित और मृत व्यक्तियों की कुल संख्या 6 लाख 73 हजार 884 पाई गई है।
विज्ञप्ति में बताया गया कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपात्र नामों को नियमानुसार हटाएं। फिर इस आशय का प्रमाण पत्र भेजें कि उनके क्षेत्रों की मतदाता सूची शुद्ध है।
पत्रकार, राजनीतिज्ञ व अधिकारियों के लिए नर्सरी है इंदौर : इंदौर एक नर्सरी है। चाहे वो अधिकारी हो या पत्रकारिता। वे यहां से निकलकर जो भी उपलब्धी हासिल करते हैं तो उसका श्रेय यहां के लोगों को जाता है। यहां के निकले पत्रकारों का डंका देश में तो बजता ही है, विदेशों में भी उनकी पूछपरख है। विश्व में कहीं भी जाओ, यहां के पत्रकार मिल ही जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इंदौर को राजनीति की भी नर्सरी कह सकते हैं। क्योंकि मैं जब यहां कलेक्टर था तब जो मुनसिपल कॉरपोरेटर हुआ करते थे वे भी आज कहां से कहां आगे बढ़े हैं सब जानते हैं। मुझे माथुरजी से बहुत कुछ सिखने को मिला है। मुलधन पत्रकारिता व संतुलित दृष्टिकोण सिखने से आपका भी वैल्यु एडिशन होता है। इंद्रियों को फ्री रखकर काम किया और पल्लवित हुआ और कहां से कहां पहुंचा यह सोचा भी नहीं जा सकता।