Madhya Pradesh Assembly elections 2003: एक नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश का विभाजन हुआ और छत्तीसगढ़ के रूप में एक नए राज्य का उदय हुआ। पृथक राज्य बनने से 90 विधानसभा की सीटें छत्तीसगढ़ में चली गईं। इसलिए मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें रह गईं। चुनाव में 3 करोड़ 19 लाख 36 हजार 518 मतदाताओं में से 67.25 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान में भाग लिया था।
विभाजित मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर चुनाव हुआ। भाजपा ने इस चुनाव में 173 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया था। बिजली और सड़क जैसे मुद्दों पर भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा था। चुनाव के बाद उमा भारती राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री निर्वाचित हुईं।
8 दिसंबर 2003 को सुश्री उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। एक साल भी पूरा नहीं हुआ था कि अगस्त 2004 को उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
उनके बाद 23 अगस्त 2004 को बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने, जो 29 नवंबर 2005 तक इस पद पर रहे। 29 नवंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली।
इस चुनाव में चुनाव परिणाम में भाजपा को 173, कांग्रेस 38, बसपा 2, माकपा 1, सीपीआई 1, समाजवादी पार्टी 7 और निर्दलीय और अन्य 8 प्रत्याशी विजयी रहे थे।
भाजपा को इस चुनाव में 42.50 फीसदी वोट मिले थे। इस चुनाव में बसपा को 9 सीटों का नुकसान हुआ था, वहीं सपा को 3 सीटों का फायदा हुआ था।