लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए तमाम अटकलों को झुठलाते हुए बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया है। कांग्रेस के तरकश के प्रियंका गांधी वाड्रा और 'चौकीदार चोर है' जैसे तीर भी पूरी तरह नाकाम रहे। 21 राज्यों में तो कांग्रेस खाता भी खोलने में नाकाम रही। आइए जानते हैं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के 5 बड़े कारण
तुरुप का इक्का ही नाकाम : कांग्रेस ने इस चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी को महासचिव नियुक्त कर पश्चिमी उत्तरप्रदेश की कमान सौंपी थी। उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए तुरुप का इक्का माना जा रहा था। देश के कई राज्यों में उनके रोड शो हुए। उनकी चुनावी रैलियों में भारी भीड़ भी दिखाई दी, लेकिन वह भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी। इस तरह कांग्रेस का बड़ा दांव विफल हो गया।
नकारात्मक प्रचार : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। राहुल ने राफेल पर उन्हें घेरने के लिए 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया। लोगों को उनकी यह बात रास नहीं आई और उनका यह दांव उल्टा पड़ गया। अगर कांग्रेस अध्यक्ष नकारात्मक प्रचार नहीं करते तो हो सकता है कि कांग्रेस को कुछ सीटों का फायदा हो सकता था।
मुद्दों का अभाव : इस चुनाव में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के पास कोई मुद्दा ही नहीं था। राहुल ने राफेल को मुद्दा बनाया लेकिन बालाकोट सर्जिकल के बाद यह मुद्दा फेल हो गया। महंगाई और भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दे बन ही नहीं पाए। भाजपा ने पांच साल काफी काम किया था, लोगों के लिए आयुष्मान भारत योजना, स्मार्ट सिटी समेत कई योजनाएं लाई गई थीं। किसानों के खाते में भी पैसे आए इसलिए राहुल का 'अब होगा न्याय' भी लोगों की समझ में नहीं आया।
यूपी में अलग चुनाव लड़ना : इस चुनाव में सपा और बसपा तो साथ मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस ने यहां कुछ सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। बहरहाल वोटों का बंटवारा हुआ और कांग्रेस को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
मोदी सब पर भारी : इस चुनाव में पीएम मोदी ही सबसे बड़ा चेहरा थे, वहीं सबसे बड़ा मुद्दा भी थे और यह चुनाव उनके ही नाम पर लड़ा गया। मोदी विपक्ष के सभी नेताओं पर भारी पड़ गए। उनके सामने किसी की एक नहीं चली। जनता जर्नादन को उनके खिलाफ कहा गया एक भी शब्द रास नहीं आया और तमाम मोदी विरोधी पस्त हो गए।