नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव 2019 में राजग की सुनामी नजर आ रही है। उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में जहां भगवा लहर दिखाई दे रही है। वहीं पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक में भी माहौल भाजपामय नजर आ रहा है। आइए जानते हैं इस चुनाव की 8 खास बातें जिसने माहौल को भाजपा के पक्ष में कर दिया...
मोदी फैक्टर : 2019 के लोकसभा चुनाव को मोदी के लिए ही जाना जाएगा। वह न सिर्फ चुनाव का सबसे बड़ा चेहरा थे बल्कि इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा भी थे। लोगों ने वोट भी उन्हीं के नाम पर दिए। मोदी ने देशभर में घूमकर माहौल को भगवामय कर दिया। विपक्ष इस अंडरकरंट का अंदाजा भी नहीं लगा पाया। इस चुनाव की सबसे अहम बात यह रही कि मतदाताओं ने स्थानीय उम्मीदवार को महत्व देने बजाय मोदी के चेहरे को ही सामने रखा।
राष्ट्रवाद : नरेंद्र मोदी ने देश में विकास तो बहुत किया लेकिन चुनाव में राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाया। उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में यह मुद्दा काम कर गया। लोगों को मोदी की बात समझ में आ गई और उन्होंने राष्ट्रवाद के नाम पर राजग और भाजपा के प्रत्याशियों के पक्ष में जमकर मतदान किया।
बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक : मोदी राज में पाकिस्तान के बालाकोट में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को भी लोगों ने उनके पक्ष में मतदान कर सराहा। मोदी ने जिस अंदाज में पाकिस्तान में स्थित आतंकियों से पुलवामा हमले का बदला लिया, लोगों को उनका यह अंदाज भा गया। इतना ही नहीं मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान को जमकर सबक सिखाया।
मोदी का आक्रामक प्रचार : नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव में भी बेहद आक्रामक तरह से प्रचार किया। उनके कद के सामने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी समेत सभी नेता बौने नजर आए। उन्होंने विपक्ष पर जमकर पलटवार किया। उनके आक्रामक चुनावी प्लान ने विपक्ष को भाजपा के समने धूल चाटने पर मजबूर कर दिया। अंतिम दौर के चुनाव प्रचार में मोदी ने 'चौकीदार चोर' के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी को ही कठघरे में खड़ा कर कांग्रेस को राजीव के नाम पर ही चुनौती दे दी थी।
हिन्दुत्व : इस चुनाव में हिन्दुत्व एक बार फिर बड़ा मुद्दा साबित हुआ। पश्चिम बंगाल में भाजपा की रैलियों में जमकर राम के नाम पर नारे लगाए गए। पश्चिम बंगाल के साथ ही उत्तरप्रदेश और बिहार में भी इस मुद्दे ने अपना काम किया। पार्टी ने उन्नाव से साक्षी महाराज, सीकर से स्वामी सुमेधानंद सरस्वती और अलवर से बाबा बालकनाथ को टिकट दिया। साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ाकर भाजपा ने अपने पक्ष में मतों का सफलतापूवर्क धुव्रीकरण किया। हालांकि कुछ मामलों में साध्वी ने भाजपा की किरकिरी भी कराई।
एनडीए की एकजुटता : इस चुनाव में एनडीए पहले की अपेक्षा ज्यादा एकजुट नजर आया। उद्धव ठाकरे जैसे असंतुष्ट सहयोगी नेताओं को भाजपा ने सफलतापूर्वक साधा। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नामांकन के समय प्रकाशसिंह बादल, उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार जैसे दिग्गजों को आमंत्रित कर एकजुटता का प्रदर्शन भी किया। मोदी ने सहयोगी दलों के प्रत्याशियों के समर्थन में भी सभाएं करने में गुरेज नहीं किया और जहां आवश्वकता थी इन दिग्गजों को भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए बुलाया गया। यही कारण रहा कि एनडीए ने बिहार और महाराष्ट्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
सोशल मीडिया : सोशल मीडिया पर भी भाजपा का चुनाव प्रचार बेहद आक्रामक था। राहुल के आरोपों पर पलटवार करते हुए 'मैं भी चौकीदार' कैंपेन चलाया गया। देखते ही देखते भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स मैं भी चौकीदार लिख दिया। बस फिर क्या था उनके प्रशंसकों के साथ ही आम लोगों में भी मोदी के इस अभियान से जुड़ने की होड़ मच गई। भाजपा ने हैशटैग्स का भी बेहतरीन इस्तेमाल किया और इस माध्यम का जबरदस्त ढंग से इस्तेमाल किया।
चुनाव प्रबंधन : भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का बेहतरीन चुनाव प्रबंधन भी भाजपा को इस चुनाव में बड़ी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ। पार्टी के शीर्ष नेताओं में जबरदस्त समन्वय दिखाई दिया। जहां मोदी गए वहां अमित शाह नहीं गए और जहां अमित शाह पहुंचे वहां मोदी नहीं पहुंचे। पूरे चुनाव में केवल मध्यप्रदेश का उज्जैन ही अपवाद रहा। इसके विपरित कांग्रेस नेताओं में समन्वय की कमी स्पष्ट दिखाई दी। उनका चुनाव प्रचार बिखरा-बिखरा सा दिखाई दिया।