श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे उत्तर भारत में नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नाग की पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में ऐसा ही त्योहार कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है।
इस दिन नाग देव के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है और दूध चढ़ाया जाता है। भगवान शिव को भी सर्प अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए यह त्योहार उनके प्रिय मास में मनाया जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी का त्योहार इस साल 15 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार नागपंचमी हस्त नक्षत्र और साध्य योग में आ रही है, जो बहुत खास माना जाता है। पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर शाम को 4 बज कर 13 मिनट तक रहेगा। इस दिन जो लोग नाग पूजा और काल सर्प योग की पूजा करते हैं, उन्हें अपना अनुष्ठान सुबह 11 बज कर 48 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 32 मिनट के बीच करना अच्छा रहेगा। यह सर्प पूजा का सबसे शुभ काल है।
पूजा की विधि
नाग पंचमी के दिन सर्प को देवता मान कर पूजा करते हैं। इस दिन पूजा की विशेष विधि होती है। गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी की सुबह स्नान आदि करके शुद्ध होने के बाद अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नाग का चित्र बनाएं या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद फल, फूल नाग देवता पर दुग्ध चढ़ाते हुए अर्पित करें।
नागपंचमी पर रुद्राभिषेक का भी अत्यंत महत्व है। पुराणों के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने सिर पर उठाया हुआ है इसलिए उनकी पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन गरुड़ पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है और नाग देवता के साथ इस दिन गरुड़ की भी पूजा की जाती है।