भारत के ज्यादातर लोग लंबे समय तक योग से अंजान रहे। पश्चिम में योग की लोकप्रियता के बाद वह योगा बनकर भारत लौटा। लेकिन अब भी भारत योग के मामले में पिछड़ा हुआ है।
भारत में 2010 में पॉवर योगा की लोकप्रियता को इस क्षेत्र में एक क्रांति के रूप में देखा गया। योग विशेषज्ञ अक्षर का मानना है कि योग में बदलाव समय की मांग है, लेकिन इसके चक्कर में योग के स्वरूप से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं। वह कहते हैं कि भारत पश्चिमी देशों की तुलना में योग में अभी बहुत पीछे है, और इसमें अग्रणी बनने के लिए भारत को अभी समय लगेगा।
भारत को योग हब कहे जाने से अक्षर फाउंडेशन के संस्थापक अक्षर इत्तेफाक नहीं रखते। वह कहते हैं कि यह एक भ्रम है कि भारत योग में अग्रणी है, जबकि हमारी तुलना में पश्चिमी देशों ने बड़ी तेजी से योग को गले लगाया है।
अक्षर ने भारतीय समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, "योग अब सिर्फ योग नहीं, बल्कि उद्योग है। यह उद्योग आगामी कुछ वर्षो में बहुत बढ़ने जा रहा है। भारत को योग में अग्रणी मानना सिर्फ एक भ्रम है। पश्चिमी देशों में जिस तेजी से योग का विस्तार हुआ है, उस स्तर तक पहुंचने में भारत को समय लग रहा है।"
अक्षर फाउंडेशन ने योग को डायनामिक बनाने के लिए 'कोकोनट योग', 'टेल योग', 'ओपन गार्डन योग', 'टॉप बिल्डिंग योग' (गगनचुंबी इमारतों में योग करने की कला), 'फ्लाइंग बर्ड योग' और 'स्टिक योग' पर जोर दिया।
विदेशों में लोकप्रिय बीयर योग की काट के लिए अक्षर ने कोकोनट योग शुरू किया। इस बारे में उन्होंने कहा, "यकीनन बीयर योग लोकप्रिय है, लेकिन मेरा मानना है कि योग को मोडिफाई करना चाहिए, उसे करप्ट नहीं करना चाहिए। बीयर का योग के साथ कोई मतलब नहीं है। शराब पीकर योग हो ही नहीं सकता, इसका जवाब देने के लिए ही हमने कोकोनट योग शुरू किया।"
अक्षर कहते हैं, "अब लोगों की सोच में योग को लेकर बदलाव आ रहा है। योग को लेकर जागरूकता बढ़ी है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के बाद योग को लेकर अलग तरह की दीवानगी देखने को मिल रही है। लेकिन भारत में यह दीवनागी सिर्फ दिखावा लगती है, जबकि विदेश में इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।"
योग के इतने स्वरूपों के बीच लोगों के भ्रमित होने के बारे में पूछने पर वह कहते हैं, "एक शिक्षित दिमाग कभी कन्फ्यूज नहीं होता। आधी-अधूरी जानकारी होगी तो भ्रमित ही होंगे।"