संयुक्त राष्ट्र ने जितना आंका था, साल 2100 तक दुनिया की आबादी उससे 2 अरब कम होगी। प्रजनन दर में कमी और वृद्धों की आबादी को देखते हुए यह नया अनुमान लगाया गया है।फिलहाल दुनिया की आबादी 7.8 अरब है।
एक अनुमान के अनुसार 2064 तक यह बढ़कर रिकॉर्ड 9.7 अरब हो जाएगी लेकिन इसके बाद यह कम होने लगेगी और साल 2100 तक यह गिरकर 8.8 अरब हो जाएगी। 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी, उसके अनुसार साल 2100 तक आबादी के 10.9 अरब पहुंच जाने का अनुमान था यानी यह मौजूदा अनुमान से 2 अरब ज्यादा था।
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की इस नई रिपोर्ट में रिसर्चरों ने संयुक्त राष्ट्र के अनुमान को गलत बताया है। रिसर्चरों के अनुसार साल 2100 तक 195 में से 183 देशों की जनसंख्या में कमी आएगी। 23 देशों की आबादी तो आधी हो जाएगी और 34 अन्य देशों की जनसंख्या में 25 से 50 फीसदी की कमी आएगी।
2035 तक सुपर पॉवर बनेगा चीन?
ब्रिटेन के प्रसिद्ध साइंस जर्नल 'लैंसेट' में छपी इस ताजा रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ने अपने आकलन में गिरते प्रजनन दर और वृद्ध आबादी को ध्यान में जरूर रखा था लेकिन नीतियों से जुड़े कुछ अन्य पैमानों को नजरंअदाज कर दिया था। रिसर्चरों के अनुसार एक बार अगर आबादी गिरने लगे तो उसे रोकना नामुमकिन हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप दुनिया में सत्ता के लिहाज से बड़े बदलाव भी देखे जाएंगे। जिन 23 देशों की जनसंख्या आधी हो जाने की बात कही गई है, उनमें जापान, स्पेन, इटली, थाईलैंड, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया और पोलैंड शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2035 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाएगा और वह अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा। लेकिन चीन की जनसंख्या में गिरावट के बाद अमेरिका फिर से अपनी जगह हासिल करने में कामयाब रहेगा। फिलहाल चीन की जनसंख्या 1.4 अरब है। अगले 80 सालों में यह 73 करोड़ ही रह जाएगी। इसी दौरान अफ्रीकी देशों में जनसंख्या वृद्धि देखी जाएगी। उप सहारा अफ्रीका में आबादी 3 गुना बढ़कर 3 अरब हो सकती है। अकेले नाइजीरिया की ही आबादी 80 करोड़ हो जाएगी।
चमकेगी भारत की जीडीपी
अगर ऐसा हुआ तो साल 2100 तक वह भारत के बाद जनसंख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर होगा। अर्थव्यवस्था और सत्ता के लिहाज से अमेरिका, चीन, नाइजीरिया और भारत दुनिया के 4 अहम देश होंगे। अनुमान के अनुसार भारत की जनसंख्या में बहुत बड़े बदलाव नहीं देखे जाएंगे और जीडीपी के लिहाज से भारत तीसरे पायदान पर होगा। जापान, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन दुनिया की 10 महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में बने रहेंगे।
इस रिसर्च के मुख्य लेखक क्रिस्टोफर मुरे ने इस बारे में कहा कि ये पूर्वानुमान पर्यावरण के लिए अच्छी खबर हैं। खाद्य उत्पादन प्रणालियों पर दबाव कम होगा, कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा और उप सहारा अफ्रीका के हिस्सों में अहम आर्थिक मौके पैदा होंगे। हालांकि अफ्रीका के बाहर ज्यादातर देशों में आबादी घटेगी, वर्कफोर्स कम हो जाएगी और अर्थव्यवस्था पर इसका काफी बुरा असर होगा।
मुरे का कहना है कि अगर उच्च आय वाले देश चाहते हैं कि ऐसा न हो, तो जनसंख्या स्तर को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि वे प्रवासियों को लेकर बेहतर नीतियां बनाएं और ऐसे परिवारों को आर्थिक सहयोग दें, जो बच्चे चाहते हैं। लेकिन उन्हें डर है कि मौजूदा दौर में कई देश इसके ठीक विपरीत नीतियां बना रहे हैं जिनके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
- आईबी/सीके (डीपीए, एएफपी)