पिता की महंगी कार से 24 साल के 2 नौजवानों की जान लेने वाले नाबालिग पर कैसी कानूनी कार्रवाई हो, भारत में इस पर बहस चल रही है। मांग उठ रही है कि संगीन जुर्म के मामलों में किशोरों पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए। मामला पुणे के कल्याणी नगर का है जहां रविवार 19 मई को एक 17 साल के लड़के ने अपनी महंगी गाड़ी से एक मोटरसाइकल को टक्कर मार दी। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पॉर्शे गाड़ी बहुत तेज चलाई जा रही थी।
इस दुर्घटना में मोटरसाइकल पर सवार अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्ठा बुरी तरह से घायल हो गए। 24 साल की अश्विनी की तो मौके पर ही मौत हो गई। अनीश ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। अनीश की भी उम्र 24 साल ही थी।
शराब पीकर गाड़ी चलाना
पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने एक बयान में बताया कि नाबालिग आरोपी ने अभी अभी 12वीं की परीक्षा पास की थी और वो अपने दोस्तों के साथ एक पब में पार्टी कर रहा था। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या उसने शराब भी पी थी?
अगर पब में उसे शराब परोसी गई थी तो पब के खिलाफ भी पुलिस कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि महाराष्ट्र में 25 साल से कम उम्र के व्यक्ति को शराब पीने की इजाजत नहीं है। फिलहाल पुलिस ने उन दोनों रेस्तरां के प्रबंधकों को किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है, जहां उसे कथित रूप से शराब परोसी गई थी।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पुलिस ने जब आरोपी नाबालिग को जेजे बोर्ड के सामने पेश किया और उसकी हिरासत मांगी तो बोर्ड ने हिरासत देने से मना कर दिया और आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया। बाद में पुलिस ने आरोपी के पिता को गिरफ्तार कर लिया और जेजे अधिनियम की 75 और 77 धाराओं के तहत उनके खिलाफ आरोप लगाए।
धारा 75 के तहत जानबूझकर किसी नाबालिग के प्रति लापरवाही दिखाने वाले अभिभावक को सजा का प्रावधान है। धारा 77 के तहत किसी नाबालिग को शराब या कोई मादक पदार्थ देने वाले व्यक्ति के खिलाफ सजा का प्रावधान है।
कड़ी सजा की मांग
लेकिन इस बीच नाबालिग आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिए जाने का भी विरोध हो रहा है। मृतकों के परिवार के सदस्यों ने इस फैसले का विरोध किया है और आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पुलिस ने भी सेशंस अदालत में अर्जी देकर नाबालिग आरोपी के साथ वयस्क की तरह पेश आने की इजाजत मांगी है। अदालत का फैसला अभी आया नहीं है, लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह की मांगें उठी हैं।
2012 में दिल्ली में हुए 'निर्भया' बलात्कार और हत्याकांड में भी एक आरोपी नाबालिग था और उसे बाकी आरोपियों के बराबर सजा देने की मांग को लेकर कई प्रदर्शन हुए थे। 2016 में दिल्ली में ही एक और सड़क दुर्घटना का मामला सामने आया था जिसमें आरोपी नाबालिग था। उस मामले में भी आरोपी के खिलाफ एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की मांग उठी थी। अब देखना यह है पुणे के मामले में अदालत क्या फैसला देती है?