Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

गलवान मुठभेड़ के बाद मोदी और शी की पहली मुलाकात

हमें फॉलो करें गलवान मुठभेड़ के बाद मोदी और शी की पहली मुलाकात

DW

, मंगलवार, 10 नवंबर 2020 (13:57 IST)
रिपोर्ट चारु कार्तिकेय
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन की वर्चुअल बैठक में मिलेंगे? क्या इस बैठक का वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति पर कोई असर पड़ेगा?
 
प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों के कॉउन्सिल की बैठक में 20 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। बैठक की अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करेंगे। रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान समेत आठों देशों के राष्ट्र प्रमुख बैठक में हिस्सा लेंगे।
 
4 ऑब्जर्वर देशों के राष्ट्र प्रमुख भी मौजूद रहेंगे। इनमें ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया शामिल हैं। ये संगठन की पहली वर्चुअल बैठक होगी। राष्ट्र प्रमुखों की बैठक संगठन का मुख्य हिस्सा है और इसी में तय होता है कि अगले साल संगठन का एजेंडा और मुख्य लक्ष्य क्या होंगे?
 
जानकारों का कहना है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ कई महीनों से चल रहे तनाव के बीच आयोजित होने वाली बैठक में भारत को स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करने का मौका मिलेगा। भारत इससे पहले भी एससीओ के बैनर तले ही विवाद को सुलझाने का प्रयास कर चुका है।
 
सितंबर में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस की राजधानी मॉस्को गए थे, जहां एससीओ की ही बैठकों के तहत दोनों की मुलाकात चीन के रक्षामंत्री और विदेश मंत्री से हुई थी। जानकारों का मानना है कि लद्दाख में मौजूदा गतिरोध को सुलझाने के लिए भारत प्रत्यक्ष रूप से तो किसी भी तीसरे देश को बीच में नहीं ला रहा है, लेकिन चूंकि सिर्फ रूस ही एक ऐसी बड़ी शक्ति है जिसके दोनों देशों से दोस्ताना संबंध हैं इसलिए भारत, रूस के जरिए बैक-चैनल डिप्लोमेसी की कोशिश कर रहा है।
गलवान मुठभेड़ को 5 महीने बीत चुके हैं लेकिन उसके बाद सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं ने हजारों सैनिकों और सैन्य उपकरण की जो तैनाती कर दी थी, वो वैसी की वैसी है। भारत के लिए काफी बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि सर्दियां शुरू हो गई हैं और अगर गतिरोध चलता ही रहा तो उस बर्फीले इलाके में सर्दियों का पूरा मौसम काटना भारतीय सेना के जवानों के लिए अत्यंत कठिन हो जाएगा।

संभव है कि भारत ऐसी स्थिति आने से पहले समाधान के रास्ते खोज रहा हो। हालांकि चीन ने अभी तक नरमी का कोई भी संकेत नहीं दिया है। हाल ही में दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर बातचीत का 8वां दौर भी पूरा हुआ लेकिन उसका भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बिडेन फिर से बहाल करेंगे वैश्विक सहयोग और अमेरिकी नेतृत्व