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ओमान के रेगिस्तान से मंगल ग्रह का रास्ता

हमें फॉलो करें ओमान के रेगिस्तान से मंगल ग्रह का रास्ता
, बुधवार, 1 नवंबर 2017 (11:58 IST)
धूप के चश्मे और जम्पसूट पहने यूरोपीय अंतरिक्ष यात्रियों को परखने वाली एक टीम ओमान के रेगिस्तान में मंगल ग्रह जैसी स्थिति पैदा करने के काम में जुटी है। इस अभियान का मकसद मंगल ग्रह पर जाने के लिए लोगों को तैयार करना है।
 
ऑस्ट्रियाई स्पेस फोरम के "एनालॉग एस्ट्रोनॉट्स" का दल ओमान में चार हफ्ते के लिए सिम्युलेशन मिशन की तैयारियों के लिए पहुंचा है। यह मिशन अगले साल शुरू होगा। मारमुल हवाई अड्डे पर उतरने के बाद पांच लोगों की एडवांस टीम अपने ओमानी साथियों से मिली। इसके बाद ये दस्ता एसयूवी में सवार हो कर सूरज की चमकती किरणों के बीच रेगिस्तान जा पहुंचा।
 
जिस जगह यह दस्ते ने अपना खेमा लगाया है उसके पीछे तेल के कुएं नजर आते हैं। इसके अलावा यहां सिर्फ चट्टानी पठार और विशाल प्राचीन मरूभूमि है। नक्शे को गाड़ियों के हुड पर फैला दिया गया। एमएडीईई-18 मिशन के फ्लाइट डायरेक्टर अलेक्जेंडर सोउसेक ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हम पृथ्वी पर मंगल ग्रह जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं। इसके लिए हमें ऐसी जगह की जरूरत है जो दिखने में मंगल ग्रह जैसा हो और ऐसी जगह हमें ओमान में मिली।"
 
यह टीम फरवरी में शुरु होने वाले सिम्युलेशन के लिए उपयुक्त जगह की खोज को अंतिम रूप देने में जुटी है। सोउसेक ने जगह तय करने के बाद कहा, "यहां पृथ्वी पर रहने वाला इंसान छह महीने तक अतरिक्ष में रहने के बाद धरती पर वापस लौटेगा, मेरा मतलब है सिम्युलेट होने के बाद। जब हम मंगल ग्रह के लिए सचमुच में उड़ान भरेंगे तब हमारे मन में उठने वाले बहुत से सवालों के जवाब हमारे पास पहले से ही होने चाहिए, तभी हम सचमुच तैयार हो सकेंगे।"
 
मिशन के दौरान टीम कई प्रयोग करेगी जिसमें बिना मिट्टी के घास उगाना भी शामिल है। इसके लिए हवा भरे हाइड्रोप्रोनिक ग्रीनहाउस का इस्तेमाल किया जाएगा। हाइड्रोप्रोनिक ग्रीनहाउस में मिट्टी की जगह खनिजों वाले एक घोल का इस्तेमाल किया जाता है। सोउसेक ने बताया, "कई समूह इस ग्रह पर इन प्रक्रियाओँ का परीक्षण कर रहे हैं और इस तरह से सिम्युलेशन भी कर रहे हैं, हम भी उनमें से एक हैं।"
 
टीम को उम्मीद है कि सिम्युलेशन, पहले मंगल मानव मिशन के लिए टूल्स और प्रक्रियाओं को तैयार करने में मदद करेगा। फील्ड कमांडर गेर्नोट ग्रोएमर का अनुमान है कि मंगल अभियान अमेरिका, रूस, यूरोप और संभवत: चीन के सामूहिक प्रयासों से जल्दी ही शुरू होगा। इसका मतलब है कि मंगल ग्रह पर पैर रखने वाला पहला इंसान जन्म ले चुका है।
 
ग्रोएमर कहते हैं, "अगले 100 दिनों में हम जो यहां देखेंगे वह भविष्य में झांकने जैसा होगा।" यहां पर जो प्रयोग होंगे उनको इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उन मानवीय कारकों का पता लगाया जा सके जैसे कि मानसिक थकावट और अवसाद। एकांतवास वाले चरण में केवल 15 लोगों को प्रवेश मिलेगा, उनकी मुश्किलों का हल होगा यहां से सुदूर "पृथ्वी" यानि ऑस्ट्रिया के नियंत्रण केंद्र में।
 
इस परियोजना पर कुल मिला कर पांच लाख यूरो की रकम खर्च होगी जो निजी चंदों से जुटाई गयी है। इस तरह के अंतरिक्ष अभियानों के आलोचक इस खर्चे को यूरोप में खर्च कटौती और खाड़ी में तेल की गिरती कीमतों के दौर में विलासिता के रूप में देखते हैं। हालांकि ऑस्ट्रियाई स्पेस फोरम की दलील है कि पैसा "अंतरिक्ष में फेंका" नहीं जा रहा है बल्कि ऐसे उपकरण तैयार किए जा रहे हैं जो न सिर्फ किसी दूरस्थ ग्रह पर जीवन के लिए बल्कि हमारे अपने लिए भी उपयोगी होंगे।
 
ग्रोएमर ने सेटेलाइट के जरिये तस्वीर लेने, कारों के लिए फ्यूल इंजेक्शन और ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग सॉफ्टवेयर जैसी कुछ चीजों का नाम गिनाते हुए कहा, "ज्यादातर लोग हर रोज कई अंतरिक्ष तकनीकों का इस्तेमाल उसे जाने बगैर करते हैं।"
 
सोमवार को ऑस्ट्रियन स्पेस फोरम ने ओमान के साथ एक सहमति पत्र पर दस्तखत किया जिसमें सल्तनत को मिशन का आधिकारिक कार्यस्थल बनाया गया है। ऑस्ट्रियन स्पेस फोरम को ओमान की एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ने इस मिशन के लिए आमंत्रित किया है। ओमान इस मिशन के जरिये देश के युवाओं को प्रेरणा देना चाहता है।
 
- एनआर/एमजे (एएफपी)

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