जलवायु परिवर्तन से संबंधित गलत जानकारी के प्रसार में फेसबुक की भूमिका पर सवालों के बीच कंपनी ने जलवायु विज्ञान पर एक सूचना केंद्र की शुरुआत की है। केंद्र का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर भरोसेमंद जानकारी को बढ़ाना है।
कंपनी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट उसके कोविड-19 सूचना केंद्र पर आधारित है। कंपनी ने पिछले महीने ऐसी ही एक सेवा नवंबर में अमेरिका में होने वाले चुनावों की तैयारियों के बीच मतदान के विषय पर भी शुरू की थी। जलवायु सूचना केंद्र को पहले अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन में शुरू किया जाएगा और उसके बाद दूसरे देशों में खोला जाएगा।
फेसबुक ने एक संदेश में कहा कि जलवायु विज्ञान जानकारी केंद्र फेसबुक पर एक समर्पित स्थान है, जहां दुनिया के अग्रणी जलवायु संस्थानों से तथ्यपूर्ण संसाधन और ऐसे कदम भी उपलब्ध हैं जिन्हें जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए लोग अपने रोजमर्रा के जीवन में उठा सकते हैं। कंपनी ने कहा कि केंद्र में जलवायु विज्ञान की खबरों पर उच्च कोटि के प्रकाशकों और दूसरे सूत्रों से लिए गए लेख भी उपलब्ध होंगे।
फेसबुक पर आरोप लगते रहे हैं कि वो जलवायु परिवर्तन पर झूठे दावों को सामने रखे जाने की अनुमति देती है और यह वो अपनी एक नीति के तहत करती है जिसके अनुसार ओपिनियन वाले लेखों को उसके बाहरी फैक्ट-चेक की प्रणाली से छूट मिल जाती है।
कंपनी ने कहा है कि वो तुरंत नुकसान पहुंचाने वाली गलत जानकारी के प्रबंधन को प्राथमिकता देती है, जैसे कोरोनावायरस के झूठे इलाज या नफरत फैलाने वाले ऐसे भाषण जिनसे हिंसा भड़क सकती है। फेसबुक के वैश्विक नीति के प्रमुख निक क्लेग ने कहा कि कंपनी अभी भी जलवायु परिवर्तन के बारे में राजनेताओं द्वारा किए गए झूठे दावों को छूट देना जारी रखेगी जबकि इस तरह की बातें अक्सर फेसबुक पर सबसे लोकप्रिय सामग्री होती है।
क्लेग ने पत्रकारों से कहा कि किसी भी सोशल मीडिया कंपनी ने कभी भी यह करने की कोशिश नहीं की और इसका सीधा कारण यह है कि राजनीतिक भाषणों में हमेशा अतिशयोक्ति होती है, आंकड़ों का चयनात्मक इस्तेमाल होता है और एक उम्मीदवार अपनी अच्छाइयों और दूसरों की बुराइयों के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर दावे करता है।
कंपनी ने महामारी के बारे में झूठी बातों के खिलाफ अपने कोरोनावायरस जानकारी केंद्र की प्रभावकारिता को मापा नहीं है। हालांकि प्रोडक्ट प्रमुख क्रिस कॉक्स ने कहा है कि कंपनी ने 60 करोड़ लोगों को उस पर क्लिक करते हुए देखा है जिसे सफलता का संकेत माना जा रहा है। फेसबुक ने इस बात की भी पुष्टि की कि उसका वैश्विक संचालन इसी साल नेट शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल कर लेगा और रिन्यूएबल ऊर्जा से चलने लगेगा।