Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कितनी असरदार होगी साइबर सुरक्षा बुकलेट?

हमें फॉलो करें कितनी असरदार होगी साइबर सुरक्षा बुकलेट?
, मंगलवार, 4 दिसंबर 2018 (12:59 IST)
भारतीय गृह मंत्रालय ने किशोरों की साइबर सुरक्षा के लिए 'बुकलेट' जारी की है। साइबर दुनिया के अच्छे-बुरे पहलुओं को रेखांकित करते हुए साइबर खतरों से आगाह किया गया है। देर से हो रही ऐसी कोशिशें दुरुस्त भी रहें, तभी फायदा है।
 
 
"अ हैंडबुक फॉर स्टूडेंट्स ऑन साइबर सेफ्टी" नाम की यह पुस्तिका अंग्रेजी में है। और इसे देश के किशोर छात्र-छात्राओं के बीच वितरित किए जाने की योजना है। खबरों के मुताबिक पुस्तिका में बच्चों के बीच स्मार्टफोन, गैजेट, ऑनलाइन गेमिंग, और सोशल मीडिया की बढ़ती दीवानगी के साथ जुड़ी चुनौतियों का उल्लेख किया गया है। खासकर फेक न्यूज और अन्य अवांछित साइबर गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई है। ऑनलाइन डाटा चोरी, नौकरियों के झांसे, फर्जी मित्रता, साइबर ग्रूमिंग यानी फुसलाना या बहकाना, साइबर बुलिंग, साइबर स्टॉकिंग, साइबर सेक्स, ईमेल स्पूफिंग जैसे ऑनलाइन अपराधों के प्रति भी सजग रहने की हिदायतें और तरीकें बुकलेट में दिए गए हैं।
 
 
फेक न्यूज के प्रति अतिरिक्त चौकसी बरतने की सलाह दी गई है, विशेषकर मॉब लिंचिंग के संदर्भ में फेक न्यूज और अफवाहों से बचने के उपाय बताए गए हैं। इस साल मई से जून की दो महीने की अवधि में ही 20 से ज्यादा लोगों की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। और इन हत्याओं के पीछे कानोंकान अफवाहें और सोशल मीडिया की फेक पोस्ट जिम्मेदार थीं।
 
 
सोशल मीडिया पर टेक्स्ट, ग्राफिक या चित्र के रूप में किसी गलत या फर्जी संदेश को फॉर्वर्ड करने या शेयर करने के खतरों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि ऐसी भ्रामक और गलत सूचनाओं से किसी की जान भी जा सकती है और सामाजिक शांति भंग हो सकती है या सांप्रादायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। इसीलिए बुकलेट की हिदायत है कि कोई भी ऐसी सूचना जो अतिरंजित हो या संदिग्ध हो या भड़काऊ हो, तो उसकी पहले अन्य प्रामाणिक स्रोतों से पुष्टि कर ही उस पर कार्रवाई करनी चाहिए। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि किशोरों को फर्जी सूचना या सही सूचना में भेद करने के जरूरी संज्ञानात्मक, संवेदनात्मक और बौद्धिक उपकरणों से कैसे लैस किया जा सकेगा। या क्या इसके लिए स्कूलों, अध्यापकों, अभिभावकों, विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी? गृह मंत्रालय ने पिछले साल साइबर और सूचना सुरक्षा संभाग का गठन किया था। और अब उसकी योजना स्कूलों में साइबर अपराध से जुड़ी बुकलेट को पाठ्यक्रम के रूप में शामिल करने की है। 
 
 
इंडियन कंप्यूटर रिस्पॉन्स टीम के एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में साइबर सुरक्षा में सेंध और उसके अपराध से जुड़े 53 हजार से भी ज्यादा मामले भारत में सामने आए थे। अमेरिका और चीन के बाद भारत इंटरनेट के इस्तेमाल में तीसरे नंबर पर आता है। और माना जा रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में ये दोनों देशों से आगे जा सकता है। स्मार्टफोन का भी भारत एक निरंतर वृद्धि करता बाजार है। लेकिन इसके साथ कई साइबर दुश्वारियां भी भारत के हिस्से आई हैं। स्पैम भेजने वाले टॉप 10 देशों में भारत का भी नाम है। साइबर अपराध से जूझ रहे टॉप पांच देशों में भारत भी आता है। सामाजिक नुकसान जो हैं सो अलग।
 
 
असल में गृह मंत्रालय की यह पहल महत्त्वपूर्ण है लेकिन इसे बहुत पहले शुरू कर दिया जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग मामले का संज्ञान लिया और साइबर उपयोग को लेकर केंद्र को कुछ हिदायतें दी थीं। उसके बाद ही, गृह मंत्रालय हरकत में आया है। देर से तो आए ही, दुरुस्त आएंगे या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि इस अहम बुकलेट को कितने किशोर छात्र छात्राओं तक पहुंचाया जा सकता है और इस पर अमल कितना सुनिश्चित किया जा सकता है। ऐसे बहुत से किशोर हैं जो विधिवत शिक्षा से वंचित हैं, लिहाजा हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं में इसे पहुंचाना होगा। ये भी ध्यान रहे कि साइबर दुनिया की नई विकरालताओं ने सिर्फ किशोरों को ही नहीं समूची युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में लिया है। तो होना यह चाहिए कि ऐसी योजनाओं या अभियानों को अधिक से अधिक व्यापक बनाया जाए।
 
 
यह सही है कि किशोरावस्था ही उम्र का वो पहला पड़ाव है जहां नई सनसनी, रोचकताएं बनकर सहलाती हैं और आकर्षित करती हैं। लेकिन यह भी देखना होगा कि आज के डिजिटल और सूचना साम्राज्य वाले युग में किशोर उम्र की चुनौतियों से निपटने के लिए सिर्फ बुकलेट ही कारगर नहीं हो सकती। बुकलेट एक औजार जरूर है और इसका सर्वथा उपयोग होना ही चाहिए लेकिन और बहुआयामी अभियानों की जरूरत भी है। सिर्फ फेसबुक या ट्विटर या व्हाट्सऐप को कोसने या फटकारने से काम नहीं चलेगा। यह भी देखना होगा कि नागरिक और राजनीतिक जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। और इस जिम्मेदारी में यह बात भी शामिल है कि बच्चों और युवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी के भटकावों से कैसे महफूज रखा जाए।
 
 
रिपोर्ट शिवप्रसाद जोशी
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हिंदुओं के लिए क्या है मंदिर?