जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा में विशाल गुफा की खोज की है। गुफा 50 किलोमीटर लंबी और 100 मीटर चौड़ी है।
जापान के अंतरिक्ष विज्ञानियों ने सेलेने लूनार ऑर्बिटर से मिले डाटा की पहली बार जांच की तो उन्हें लगा कि वे कुछ गलती कर रहे हैं। ऐसा हो ही नहीं सकता। और जब दूसरी, तीसरी जांच में भी वही नतीजा आया, तो वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। इंसान को पहली बार चांद पर मौजूद गुफा मिल गई।
वैज्ञानिकों के मुताबिक गुफा 50 किलोमीटर लंबी (31 मील) और 100 मीटर चौड़ी है। माना जा रहा है कि 3.5 अरब साल पहले ज्वालामुखीय हलचल के दौरान यह गुफा बनी। उस वक्त चंद्रमा पर लावा बहा होगा, जिसकी बुदबुदाहट ने इस विशाल गुफा का निर्माण किया।
जापान की अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिक जूनिची हारुयामा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "हमें इस जगह का पता था और हमें लगता था कि वहां लावा ट्यूब हो सकती है। हमने अभी गुफा भीतर से नहीं देखी है लेकिन उम्मीद है कि आगे की जांच में इसकी कई डिटेल्स सामने आएंगी।"
जमीन में दबी गुफा चंद्रमा के मॉरिस हिल इलाके में है। भारत का चंद्रयान चंद्रमा पर पानी की खोज कर चुका है। अब गुफा भी मिल चुकी है। वैज्ञानिकों को लगता है कि भविष्य में चंद्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री इसी गुफा में रह सकते हैं। गुफा बहुत तेजी से चढ़ते उतरते तापमान और सौर विकिरण से रक्षा करेगी।
खुद जापान 2030 के आस पास चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजना चाहता है। यह पहला मौका है जब जापान ने अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजने का एलान किया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी 2025 में चंद्रमा की कक्षा में अंतरिक्ष स्टेशन बनाना चाहती है। उस स्टेशन की मदद से इंसान को मंगल तक भेजने की तैयारी की जाएगी। गुफा की खोज के बाद चांद पर इंसान को भेजने की होड़ छिड़नी तय है। अमेरिका, भारत और चीन पहले ही ऐसे मिशनों का एलान कर चुके हैं।