अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जर्मनी से 9,500 सैनिकों को हटाने वाली योजना पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जर्मनी में इस समय 34,500 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं जिन्हें घटाकर ट्रंप 25 हजार करना चाहते हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने जर्मनी से 9,500 अमेरिकी सैनिकों को हटाने वाली योजना को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी रक्षामंत्री मार्क एस्पर ने सोमवार को राष्ट्रपति के सामने यह योजना पेश की। पेंटागन के प्रवक्ता जोनाथन हॉफमैन ने कहा है कि इस योजना से 'रूस को लेकर प्रतिरोध' बढ़ेगा, नाटो को 'मजबूती मिलेगी'। सैनिकों को कब हटाया जाएगा, इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया गया है।
जून में ट्रंप ने कहा कि वे जर्मनी में तैनात अमेरिकी सैनिकों की संख्या में कटौती करना चाहते हैं, क्योंकि जर्मनी नाटो के लिए पर्याप्त योगदान नहीं दे रहा है। उन्होंने रूस से ऊर्जा खरीदने के जर्मनी के फैसले पर भी नाराजगी जताई।
उधर अमेरिकी सत्ताधारी रिपब्लिकन और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के कई सीनेटरों ने जर्मनी से सैनिक हटाने की ट्रंप के प्रयासों को सीमित करने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। इन 6 सांसदों में रिपब्लिकन लिंडसे ग्राहम और मार्को रूबियो जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
उन्होंने 2021 के लिए राष्ट्रीय रक्षा खर्च अधिनियम में एक संशोधन पेश किया गया, जो जर्मनी से सैनिक हटाने के लिए निश्चित फंड को सीमित करेगा। उनकी कोशिश है कि इस फंड को तभी मंजूरी मिले, जब अमेरिकी रक्षामंत्री यह स्पष्टीकरण दे दें कि सैनिकों को हटाने से 'अमेरिकी सुरक्षा और सहयोगियों' के लिए कोई खतरा पैदा नहीं होगा।
रूस को संदेश
पेंटागन के प्रवक्ता हॉफमैन ने कहा है कि इस बारे में आने वाले हफ्तों में नाटो सहयोगियों से बात की जाएगी। पेंटागन के अधिकारियों का कहना है कि अगर जर्मनी से सैनिक हटाए जाते हैं तो उनमें से कुछ भूतपूर्व पूर्वी ब्लॉक के देशों में भेजे जा सकते हैं। इनमें कुछ स्थायी रूप से तो कुछ थोड़े समय के लिए वहां जा सकते हैं। इसके जरिए रूस को संदेश देने की कोशिश हो सकती है।
पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डुडा ने पिछले हफ्ते ही अमेरिका का दौरा किया है। ट्रंप ने कहा कि कुछ सैनिक पोलैंड भेजे जा सकते हैं। उनके मुताबिक कुछ सैनिक घर लौटेंगे और कुछ अन्य जगहों पर जाएंगे। पोलैंड उन जगहों में से एक होगा।
अमेरिका में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही जर्मनी और अमेरिका के रिश्ते सहज नहीं रहे हैं। हाल में ट्रंप ने जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल को निमंत्रण भेजा लेकिन मर्केल ने कोरोना महामारी की वजह से सम्मलेन में शामिल होने से इंकार कर दिया। इसके लगभग 2 हफ्तों बाद ट्रंप ने शिकायती लहजे में कहा कि जर्मनी अपनी सुरक्षा पर पर्याप्त रकम खर्च नहीं कर रहा है और व्यापार के मोर्चे पर अमेरिका के साथ 'खराब बर्ताव' कर रहा है।
ट्रंप ने कहा कि हम उनके साथ वार्ता कर रहे हैं, लेकिन जो डील वे हमारे साथ करना चाहते हैं, मैं अभी उससे संतुष्ट नहीं हूं। उनकी वजह से अमेरिका ने हाल के सालों में व्यापार के मोर्चे पर सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान उठाया है। तो हमें व्यापार में भी नुकसान पहुंचाया गया है और नाटो के विषय पर भी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह अमेरिका पर बड़ा बोझ है इसलिए हम सैनिकों की संख्या कम कर रहे हैं। हम संख्या को घटाकर 25 हजार पर ला रहे हैं।