मुंबई। भारत में क्रिकेट को धर्म समझा जाता है लेकिन खेल के साथ स्पोटर्स साइंस को वह तरक्की नहीं मिली। लेकिन यह बदलने वाला है क्योंकि भारत की पहली स्पोटर्स टैक कंपनी पहली बार जेड बैट लेकर आ रही है।
हर कोई सचिन तेंदुलकर नहीं होता है जो भारी बल्ले से खेले क्योंकि उन्हें लगता था कि उससे उनके बल्ले को अच्छा स्विंग मिलेगा। सचिन को देखकर कई खिलाड़ियों ने भारी बल्ले से खेलना शुरू किया, लेकिन क्रिकेट साइंस की जानकारी की कमी होने के कारण वह अच्छा नहीं कर पाए।
इस बल्ले को समीर शाह और हर्षल शाह ने तैयार किया है। यह दोनों बल्ले के कॉनसेप्ट और फंक्शन को बदलने की कोशिश में हैं। जेड बैट्स में साइंटिफिक एलोगरिथम और सेंसर आधारित तकनीक है। इसका मकसद भारत में बल्ले की खरीद के समय उपयोग में ली जाने वाली मानसिकता को बदलना है।
जेट बैट्स न सिर्फ सही बल्ले का चुनाव करने में मदद करेगी बल्कि प्रदर्शन को भी सुधारेगी। इनसे भी अहम चोटों से बचाएगी क्योंकि इसमें यूनिक बॉडी डायनामिक्स डिटेक्शन तकनीक है।
जेड बैट के निदेशक और संस्थापक हर्षल शाह ने कहा, ‘हमने शोध की जिससे पता चला कि 8 से 80 साल की उम्र के बीच 344 प्रकार के बल्लेबाज हो सकते हैं। इसी ने हमें जेड बैट के कॉन्सेप्ट को लाने के लिए प्रेरित किया जो बल्लेबाजों को सही बल्ले का चुनाव में मदद करेगा।’
हर्षल के साथी निदेशक और संस्थापक समीर ने कहा, ‘जैसे हमें यह विचार आया हमने मुंबई के एमेच्योर क्रिकेटर्स में एक सर्वे किया। हमारे कॉन्सेप्ट को अच्छी प्रतिक्रिया मिली इसलिए हमने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया और इस सपने को हकीकत में बदला।’
समीर और हर्षल ने इस विचार को जन्म दिया तो इस विचार में काबिलियत स्टार्टअप के पायोनियर कहे जाने वाले जी रामचंद्रन ने देखी। जीआर के नाम से मशहूर रामचंद्रन ने कहा, ‘अलग हट कर सोच ने हमेशा मुझे प्रभावित किया है। जब मैंने हर्षल और समीर का विचार सुना तो मुझे लगा कि इस विचार को लोग अपनाएंगे बस इसे सही तरह से आगे ले जाने और समर्थन की जरूत है। स्टार्ट अप को कामयाब बनाने की मेरी सफलता के कारण और उनकी खेलों की समझ के कारण, मैं कह सकता हूं कि भारत क्रिकेट रिवोल्यूशन के लिए तैयार है।’
संस्थापकों की कोशिश अगले छह महीने में 10 जेड बैट क्लीनिक खोलने की है। पहला क्लीनिक परेल में खोला जाएगा और अगला बेंगलुरू में। जेड बैट की रणनीति अपने कॉनसेप्ट को वैश्विक स्तर पर भी ले जाने की है।