भारत के पूर्व कप्तान Sunil Gavsakar सुनील गावस्कर ने Cheteshwar Pujara चेतेश्वर पुजारा को बलि का बकरा scapegoat बनाने के लिए राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की आलोचना की है।उन्होंने पुजारा को टेस्ट टीम से बाहर किये जाने पर कहा कि सोशल मीडिया पर इस खिलाड़ी के फॉलोअर्स की संख्या विराट कोहली या रोहित शर्मा जैसी नहीं है। उनके लिए आवाज उठाने वाले ज्यादा लोग नहीं है।
गावस्कर ने सवाल किया, उन्हें हमारी बल्लेबाजी की विफलताओं के लिए बलि का बकरा क्यों बनाया गया है? वह भारतीय क्रिकेट के एक वफादार सेवक, एक शांत और सक्षम व्यक्ति रहे हैं। किसी भी मंच पर उनके लाखों फोलोवर नहीं हैं, जो उनके मामले में शोर मचाएंगे। उन्हें टीम से बाहर करना समझ से परे है।
इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने कहा, पुजारा को टीम से बाहर करना और विफल हुए अन्य खिलाड़ियों को टीम बनाये रखने का क्या मापदंड है? मैं इसके कारण के बारे में नहीं जानता क्योंकि आजकल चयन समिति के अध्यक्ष या ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ मीडिया की कोई बातचीत नहीं होती है जहाँ आप चयनकर्ताओं से सवाल कर सके।उन्होंने कहा,
डब्ल्यूटीसी फाइनल में अजिंक्य रहाणे को छोड़कर सभी बल्लेबाज विफल हुए थे तो टीम से बाहर सिर्फ पुजारा क्यों हुए।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में 14 और 27 रन बनाने वाले 35 वर्षीय पुजारा की जगह जून में नंबर तीन पर नया बल्लेबाज़ दिखेगा।पुजारा के अब वापसी की उम्मीद नहीं दिखती है। जब पुजारा को रहाणे के साथ श्रीलंका के खिलाफ घरेलू श्रृंखला की टीम से बाहर किया गया था तब पूर्व मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा ने कहा था कि तीसरे नंबर के बल्लेबाज के लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं और वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खेल कर वापसी कर सकते हैं।
पुजारा ने काउंटी क्रिकेट में ससेक्स के लिये खेलने लगे। उन्होंने काफी रन जुटाये और उन्हें 2022 में इंग्लैंड के खिलाफ एकमात्र टेस्ट के लिये फिर टीम में चुना गया। उन्हें इस साल आस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला में 100 टेस्ट की उपलब्धि पूरी करने का मौका भी मिला।
बीसीसीआई के एक सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, घरेलू सरजमीं पर आस्ट्रेलिया श्रृंखला में उनकी असफलता के बाद उनके लिए बहुत कम मौका बचा था लेकिन चयनकर्ता डब्ल्यूटीसी फाइनल से पहले बदलाव नहीं करना चाहते थे।
उन्होंने कहा, लेकिन ओवल में दो विफलताओं ने उन पर फैसला तय कर दिया। एसएस दास डब्ल्यूटीसी फाइनल के लिए लंदन में थे। उनकी मुख्य कोच राहुल द्रविड़ से निश्चित रूप से बात हुई होगी और उन्होंने फाइनल के बाद होने वाले अपने इस फैसले के बारे में उन्हें बता दिया होगा।
पुजारा की बांग्लादेश के खिलाफ 90 और 102 रन की पारियों को हटा दिया जाये तो पिछले तीन वर्षों में उनका 26 का औसत काफी खराब रहा है और उनके खराब प्रदर्शन काफी लंबे समय तक जारी रहा।
सूत्र ने कहा, यह दो वर्ष का चक्र है और पुजारा तीन साल से रन नहीं बना रहे। विराट कोहली और पुजारा के बीच अंतर सिर्फ लय का है। हां, कोहली का भी खराब दौर रहा लेकिन वह फॉर्म से बाहर कभी नहीं दिखे।
उन्होंने कहा, आस्ट्रेलिया दौरे के बाद पुजारा की लय को लेकर भरोसा नहीं बना। जज्बा भी एक मुद्दा रहा। इससे बांग्लादेश के खिलाफ इन दो पारियों का ज्यादा महत्व नहीं रहा।