दुबई: न्यूजीलैंड में चार मार्च से शुरू होने वाले कोविड काल के पहले वनडे विश्वकप में सख्त बायो बबल और रोजाना कोरोना टेस्ट प्रक्रिया को हटा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इसके बजाय टूर्नामेंट को प्रबंधित वातावरण में कराने करने की योजना बनाई है। नए नियम इस तथ्य पर विचार करने के बाद बनाए गए हैं कि सभी टीमों और अधिकारियों के न्यूजीलैंड आने पर आइसोलेशन से गुजरना अनिवार्य है।
आईसीसी के महाप्रबंधक ज्योफ एलार्डिस ने सोमवार को मीडिया के साथ बातचीत में कहा, “ हमारा दृष्टिकोण टूर्नामेंट के आसपास एक प्रबंधित माहौल बनाने का है। गिने-चुने कोरोना टेस्ट होंगे और यह दैनिक आधार पर नहीं होंगे। यहां सारी बात खिलाड़ियों की जिम्मेदारी लेने की है। यह जानते हुए कि वे एक महीने के लिए न्यूजीलैंड में हैं। इस अवधि के दौरान उनका ख्याल रखना जरूरी है, न कि ये कि वे कड़े बायो बबल में रहें, क्योंकि यह व्यावहारिक नहीं होगा और निश्चित रूप से इससे टीमें मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाएंगी। ”
एलार्डिस ने कहा, “ कुछ सामान्य दिशा-निर्देश हैं जो आवश्यक हैं, लेकिन हम खिलाड़ियों और टीमों को समझदार होने के लिए कह रहे हैं। उन क्षेत्रों से दूर रहें जहां संक्रमण के खतरे की संभावना है। दूसरी बात यह है कि हमने पिछले कुछ टूर्नामेंटों में पाया (वेस्ट इंडीज में जनवरी-फरवरी में पुरुष अंडर-19 विश्व कप) कि भले ही कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए, लेकिन कोरोना के लक्षण वाले लोगों की संख्या बहुत कम थी। हम खिलाड़ियों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। यह कुछ बदलाव हैं, जो हम छह महीने पहले कर सकते थे। ”
आईसीसी के महाप्रबंधक ने इस बात पर जोर दिया कि सभी टीमों को पहले ही न्यूजीलैंड पहुंचने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। यहां सीमाएं आंशिक रूप से खुली हैं और फिर क्वारंटीन के बाद पर्याप्त तैयारी के समय की सुविधा भी एक समस्या है।
एलार्डिस ने कहा, “ नवंबर में न्यूजीलैंड सरकार ने क्वारंटीन अवधि को दस दिनों तक बढ़ा दिया था, इसलिए हमने टीमों को तैयार करने के लिए अतिरिक्त समय जोड़ा, लेकिन यह फिर से सात दिन हो गया, इसलिए तार्किक रूप से यह तारीखों और समय के साथ चुनौतीपूर्ण रहा है। हमें उम्मीद है कि जैसे ही स्थिति सुधरेगी हम टूर्नामेंट के दूसरे भाग के दौरान मैदानों पर दर्शकों की संख्या बढ़ाने में सक्षम होंगे। ”
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी अभी भी पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबसे बड़ा विषय है। ऐसे में आईसीसी ने टूर्नामेंट का योजना के अनुसार आगे बढ़ना सुनिश्चित करने के लिए प्लेइंग कंडीशन्स में भी बदलाव किया है। इसके तहत महिला विश्व कप के दाैरान अगर कोई टीम कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण कम से कम नौ खिलाड़ियों को मैदान पर उतारने में सक्षम है तो मैच आगे बढ़ेगा। वहीं ऐसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए टीमों को अतिरिक्त रिजर्व खिलाड़ियों के साथ यात्रा की अनुमति दी गई है।
एलार्डिस ने कहा, “ मुझे उम्मीद है कि इस प्रावधान की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन यह ऐसा फैसला था जो हमें कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के पिछले कुछ महीनों के प्रकोप के बाद लेना था। हमारे लगभग सभी टूर्नामेंटों में हमें कोराेना संक्रमण के मामलों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा और आइसोलेशन के कारण खिलाड़ियों की संख्या कम हो गई थी। वेस्ट इंडीज में हाल ही समाप्त पुरुषों के अंडर-19 विश्व कप के बाद हमें आखिरकार यह फैसला लेना पड़ा। ”