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जहीर की मौजूदगी के बावजूद अरुण को भी रखने के लिए कह सकते हैं शास्त्री

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, गुरुवार, 13 जुलाई 2017 (14:59 IST)
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के नवनियुक्त कोच रवि शास्त्री अपने सहयोगी स्टाफ में जहीर खान की मौजूदगी के बावजूद भरत अरुण की गेंदबाजी कोच के रूप में वापसी करने के लिए कह सकते हैं।
 
गेंदबाजी कोच के लिए शास्त्री की पसंद अरुण थे और अब यह साफ हो गया है कि क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने गेंदबाजी कोच के लिए जहीर के नाम की सिफारिश करते समय शास्त्री को विश्वास में नहीं लिया हालांकि उनकी भूमिका भी राहुल द्रविड़ जैसी ही सलाहकार की होगी।
 
पता चला है कि जहीर पूरे 250 दिन का समय नहीं दे पाएंगे, जो कि एक पूर्णकालिक कोच के लिए जरूरी है। वे 100 दिन से अधिक समय के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे। यही नहीं, जहीर का वेतन का पैकेज अभी तय नहीं किया गया है और इस पर बातचीत चल रही है।
 
इससे पहले शास्त्री से जब गेंदबाजी कोच के रूप में उनकी पसंद पूछी गई तो उन्होंने अरुण का नाम लिया लेकिन सीएसी का एक खास सदस्य इसके खिलाफ था। शास्त्री ने इसके बाद कहा कि फिर मुझे जैसन गिलेस्पी दे दो। गिलेस्पी को अभी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी कोच माना जाता है। तेजतर्रार क्रिकेटर शास्त्री समझते थे कि बीसीसीआई गिलेस्पी जैसे कोच को नहीं ले सकता जिनसे पहले ही पापुआ न्यूगिनी ने अनुबंध कर रखा है।
 
बीसीसीआई ने वेंकटेश प्रसाद का नाम भी स्टैंड बाई के रूप में रखा है लेकिन लगता है कि शास्त्री अरुण के अलावा किसी अन्य के नाम पर सहमत नहीं होंगे। प्रसाद को हो सकता है कि भारतीय टीम में पसंद नहीं किया जाए, क्योंकि अपने पूर्व के कार्यकाल के दौरान उनको लेकर शिकायत थी कि उन्होंने तेज गेंदबाजों को लाइन व लेंथ वाले मध्यम गति के गेंदबाजों में बदल दिया।
 
बीसीसीआई के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार शास्त्री इस सप्ताहांत शीर्ष अधिकारियों और प्रशासकों की समिति (सीओए) से मिल सकते हैं। बीसीसीआई सूत्रों ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि रवि जहीर का पूरा सम्मान करते हैं लेकिन उनका मानना है कि पूर्णकालिक गेंदबाजी कोच का होना जरूरी है। 
 
जहीर गेंदबाजों के लिए रोडमैप तैयार कर सकते हैं और अरुण उसे लागू करेंगे। रवि शनिवार को सीओए से बात कर सकते हैं और यह साफ कर सकते हैं कि उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए भी टीम में अरुण चाहिए। अगर शास्त्री टीम में अरुण को लाने में सफल रहते हैं तो इससे वे अपने धुर विरोधी रहे सौरव गांगुली से भी बदला ले लेंगे, जो उनको रखने के खिलाफ थे। 
 
अरुण को 2014 में जो डावेस की जगह गेंदबाजी कोच बनाया गया था और वे 2016 में शास्त्री को बाहर किए जाने तक टीम के साथ थे। अरुण का खिलाड़ी के रूप में करियर भले ही अच्छा नहीं रहा हो लेकिन उन्हें हमेशा बेहतरीन अकादमी कोच माना जाता रहा है और तेज गेंदबाजी से जुड़ीं चीजों पर उनकी अच्छी पकड़ है। अरुण और शास्त्री दोनों ही 80 के दशक के शुरुआती वर्षों में अंडर-19 के दिनों से दोस्त हैं।
 
शास्त्री की सिफारिश पर ही तत्कालीन अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने अरुण को सीनियर टीम का गेंदबाजी कोच नियुक्त किया था, तब वे राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में गेंदबाजी सलाहकार थे। (भाषा)

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