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'लग रहा था सिर्फ 2 तरीके हैं विकेट लेने के', कोच राहुल द्रविड़ पांचवें दिन की पिच से हुए नाराज

हमें फॉलो करें 'लग रहा था सिर्फ 2 तरीके हैं विकेट लेने के', कोच राहुल द्रविड़ पांचवें दिन की पिच से हुए नाराज
, मंगलवार, 30 नवंबर 2021 (17:47 IST)
भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने सोमवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ ड्रॉ हुए पहले टेस्ट में पांचवें दिन के खेल के दौरान पिच से मदद नहीं मिलने के बावजूद भी दबदबा कायम करने पर स्पिन गेंदबाजों की सराहना की।

द्रविड़ ने मैच के बाद कहा, ‘हमने काफी संयम और संघर्ष का जज्बा दिखाया और उस अंतिम सत्र में वास्तव में कड़ी मेहनत की। पांचवें दिन पिच से मदद नहीं मिल रही थी। गेंद में हरकत नहीं हो रही थी और लंच के बाद आठ विकेट लेने का वास्तव में शानदार प्रयास था।’

उन्होंने कहा, ‘अगर किस्मत का थोड़ा साथ मिला होता तो मैच का रुख हमारी ओर मुड़ जाता। मुझे लगता है कि खिलाड़ियों ने वास्तव में कड़ी मेहनत की।’
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द्रविड़ इस बात से हैरान थे कि मैच के पांचवें दिन पिच से गेंद को बेहद कम टर्न मिल रही थी और गेंद असमान हरकत नहीं कर रही थी। इससे गेंद बल्ले का किनारा नहीं ले रही थी और स्लिप तथा बल्लेबाज के आस-पास खड़े क्षेत्ररक्षकों की भूमिका सीमित हो गई।

द्रविड़ ने कहा, ‘गेंद नीचे रहने के साथ धीमी आ रही थी, शायद इसमें उछाल और टर्न नहीं था। पांचवें दिन भारतीय परिस्थितियों में पिच में दरार आ जाती है लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं था।’

सिर्फ 2 ही तरीके थे बल्लेबाज को आउट करने के

द्रविड़ ने कहा, "पिच पर शायद कम उछाल था। यह धीमी भी थी और यहां ही टर्न भी नहीं था। आप शायद पांच दिनों में भारतीय परिस्थितियों में इन विकेटों पर उम्मीद करते हैं कि पिच टूट जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ।"
उन्होंने कहा कि आम तौर पर चौथे और पांचवें दिन एक स्पिनर के रूप में आप बल्लेबाज़ों को चुनौती दे सकते हैं। आप उम्मीद करते हैं कि स्पिनर्स की गेंदों पर बाहरी और भीतरी किनारा लगेगा लेकिन यहां गेंद कैरी ही नहीं कर रही थी। नज़दीकी खिलाड़ियों ने शायद कैच लेकर किसी बल्लेबाज़ को आउट किया हो। इस पिच पर बल्लेबाज़ को आउठ करने का बस दो ही तरीका था -एलबीडब्ल्यू और बोल्ड।"


कोच ने कहा कि टॉम लैथम जैसे खिलाड़ी दोनों पारी में मिलाकर 400 से अधिक गेंद खेलने में सक्षम थे और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस पिच पर रक्षात्मक बल्लेबाजी करना मुश्किल नहीं था।

उन्होंने कहा, ‘ऐसा लग रहा था कि अगर आप रन नहीं बनाना चाहते है तो आपको आउट करना मुश्किल है। हमारे पास ऐसे खिलाड़ी है जो इन परिस्थितियों में भी दबदबा कायम करने में सफल रहे। अगर ऐसा नहीं होता तो यह मैच नीरस ड्रॉ की ओर बढ़ जाता।

द्रविड़ ने भारतीय पारी घोषित करने के समय का बचाव किया

जब कोई टीम भारतीय टीम की तरह जीत के क़रीब आती है और विपक्षी टीम अपने लक्ष्य से 100 रन से अधिक दूर होती है। साथ ही अगर ख़राब रोशनी खेल में खलल डाले तो दिमाग तुरंत पारी की घोषणा से पहले भारत की आख़िरी साझेदारी पर जाता है। उस दौरान लगभग तीन रन प्रति ओवर की रन गति के साथ 20 ओवर तक बल्लेबाज़ी की गई।

हालांकि भारत के कोच राहुल द्रविड़ ने कहा कि न्यूज़ीलैंड को खेल से बाहर करने के लिए वे रन बेहद महत्वपूर्ण थे। हालांकि भारतीय टीम को यह बिल्कुल नहीं लगता कि टीम ने ग़लत समय पर अपनी पारी घोषित की। पारी घोषित करने के बाद न्यूज़ीलैंड को लगभग तीन रन प्रति ओवर की दर से 284 रन बनाने थे।
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द्रविड़ से जब मैच के बाद पूछा गया कि क्या ऋद्धिमान साहा और अक्षर पटेल उस साझेदारी में थोड़ी तेज़ी से रन बनाते हुए,भारत को अतिरिक्त आधे घंटे का समय दे सकते थे। द्रविड़ ने कहा, 'मुझे ऐसा नहीं लगता। पारी घोषित होने के आधे घंटे पहले तक हम दबाव में थे और मुझे लग रहा था कि उस समय तक तीनों परिणाम संभव थे।"

द्रविड़ ने कहा,"अगर ईमानदारी से कहूं तो साहा ने एक मुश्किल समय में बढ़िया बल्लेबाज़ी की। उस समय उनकी गर्दन में दर्द था। अगर वह उस समय आउट हो गए होते तो न्यूज़ीलैंड को 2.2 या 2.3 के रन दर से 110 ओवरों में 240-50 रन बनाने की आवश्यकता होती। इसी कारणवश हमें अक्षर और साहा के बीच उस साझेदारी की आवश्कता थी।"

कोच ने कहा कि अगर अर्धशतकीय पारी खेलने वाले श्रेयस अय्यर का विकेट चाय से पहले नहीं गिरा होता तो हम एक अलग रणनीति के साथ बल्लेबाज़ी करते। द्रविड़ ने कहा, "हमने चाय से ठीक पहले श्रेयस को खो दिया। उस समय हमारी टीम का स्कोर सात विकेट के नुकसान पर 167 रन था और उस समय हम मुश्किल में थे। इसी कारणवश हमें उस साझेदारी की अत्यंत आवश्यकता थी। पारी घोषित करने से 45 मिनट पहले तक हम दबाव में थे।साथ ही हमारे फ़ैसले के पीछे सबसे बड़ा निर्णायक कारक पिच की परिस्थितियां थी।

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