नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के इतिहास का यह नया अध्याय प्रतीत होता है जिसमें एक हाई प्रोफाइल कप्तान ने सार्वजनिक तौर पर बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली के इस बयान को खारिज कर दिया कि बोर्ड ने उनसे अनुरोध किया था कि वे टी20 टीम की कप्तानी नहीं छोड़ें।
सूत्रों से आ रही खबरों के मुताबिक गांगुली इस मामले से काफी खिन्न है लेकिन बोर्ड अध्यक्ष के तौर पर वह सामूहिक फैसला लेने के पक्ष में होंगे। हालांकि समय का पहिया घूम चुका है। अगर सौरव गांगुली पलट कर देखेंगे तो यह पाएंगे कि जब वह कप्तानी से निकाले गए थे तब उन्होंने क्या किया था। उनकी भी प्रतिक्रिया लगभग ऐसी ही थी।
बीसीसीआई को रेड अलर्ट पर डालने वाले आखिरी भारतीय कप्तान खुद गांगुली थे जिनका तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल के साथ विवाद जगजाहिर था। गांगुली को 2005 में जिम्बाब्वे में टेस्ट श्रृंखला जीतने के बाद कप्तानी से हटा दिया गया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें कप्तानी छोड़ने के लिये कहा गया था।
इसके बाद दिवंगत जगमोहन डालमिया को बोर्ड अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। उसके बाद से क्रिकेट की राजनीति बद से बदतर हो गई।
ऐसे हुआ था विवाद
साल 2005 में जिम्मबाब्वे दौरे में ग्रेग चैपल ने तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को कप्तानी से हटने की सलाह दी थी। पहले टेस्ट के दौरान चैपल ने एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उनसे पूछा जाए तो वह युवराज और मोहम्मद कैफ को गांगुली से पहले बल्लेबाजी करने के लिए भेजेंगे।
इस बयान से आहत होकर सौरव गांगुली ने अपना बैग पैक करना शुरु कर दिया था। उनका यह व्यवहार देखकर टीम के डायरेक्टर समेत कोच चैपल और राहुल द्रविड़ ने उनसे विनती की थी कि वह दौरा बीच में छोड़कर ना जाए। अन्यथा टीम की छवि खराब हो जाएगी।
इस टेस्ट में गांगुली का अच्छा प्रदर्शन रहा। बल्ले के बाद गांगुली भी गरजे और उन्होंने कहा कि टीम मैनेजमेंट द्वारा उनसे कप्तानी छीनने का दबाव बनाया गया था। यही कारण रहा कि उन्होंने एक बेहतरीन पारी खेलकर जवाब पकड़ाया।
इसके कुछ देर बाद ग्रेग चैपल के इस्तीफे की भी खबरें आने लगी। दिलचस्प बात यह थी कि जब जॉन राइट का कार्यकाल पूरा हुआ था तब दादा ने ही ग्रेग चैपल की सिफारिश कर उनको कोच बनाया था और अब उनके ही कारण उनकी कप्तानी छिनने वाली थी।
दौरे से वापसी पर एक मेल बहुत चर्चा में रहा। यह मेल ग्रैग चैपल ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को लिखा। उसमें उन्होंने गांगुली को शारीरिक और मानसिक तौर पर कमजोर बताया। चैपल ने यहां तक लिखा कि वह कप्तानी के कारण अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान नहीं देते है।
उन्होंने यह भी कहा था कि सौरव कप्तानी रखने के लिए आमदा है और अपने टीम के खिलाड़ियों का भरोसा खो चुके हैं। हालांकि कुछ बैठकों के दौर के बाद चैपल और गांगुली ने साथ काम करने का मन बनाया ताकि भारतीय क्रिकेट को नुकसान ना हो।
ऐसे गई दादा की कप्तानी
अक्टूबर 2005 में सौरव गांगुली श्रीलंका से होने वाली वनडे सीरीज के पहले 4 मैचों के लिए चोट के कारण अनुपलब्ध थे। उनकी जगह राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का कप्तान चुना गया। सीरीज में जब भारत ने 4-0 की बढ़त ले ली तो अगले 3 वनडे के लिए सौरव गांगुली की अनदेखी की गई।इसके बाद लगातार सीरीज होती गई और गांगुली समर्थकों को झटका लगता गया।
भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और चैपल के बीच संबंध काफी कड़वे रहे थे। समझा जाता है कि चैपल ने गांगुली को भारतीय टीम से निकलवाने में अहम भूमिका निभाई थी। तभी से चैपल और पश्चिम बंगाल के गांगुली के प्रशंसकों के बीच छत्तीस का आँकड़ा रहा है।
अब कोहली भी बोर्ड से हो चुके हैं खफा
भारतीय क्रिकेट बोर्ड और टेस्ट कप्तान विराट कोहली के बीच मतभेद बुधवार को सार्वजनिक हो गया जब टेस्ट कप्तान ने बोर्ड के गलत दावे को खारिज किया कि उन्हें टी20 टीम की कप्तानी नहीं छोड़ने के लिये मनाने की कोशिश की गई थी ।
भारत के सबसे कामयाब क्रिकेटरों में से एक कोहली ने यह भी कहा कि उन्हें वनडे कप्तानी से हटाने के फैसले के बारे में चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा ने दक्षिण अफ्रीका के लिये टेस्ट टीम की घोषणा से महज डेढ घंटे पहले ही बताया था। बीसीसीआई ने अपना पक्ष नहीं रखा है जबकि कहा जा रहा था कि चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा मीडिया से मुखातिब होंगे।
दक्षिण अफ्रीका दौरे पर रवाना होने से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कोहली ने कहा, जो फैसला किया गया उसे लेकर जो भी संवाद हुआ, उसके बारे में जो भी कहा गया वह गलत है। कोहली ने कहा, जब मैंने टी20 कप्तानी छोड़ी तो मैंने पहले बीसीसीआई से संपर्क किया और उन्हें अपने फैसले के बारे में बताया और उनके (पदाधिकारियों) सामने अपना नजरिया रखा।
सौरव गांगुली ने दिया था अलग बयान
भारतीय कप्तान ने गांगुली के कुछ दिन पहले के बयान से बिलकुल विपरीत जानकारी देते हुए कहा, मैंने कारण बताए कि आखिर क्यों मैं टी20 कप्तानी छोड़ना चाहता हूं और मेरे नजरिए को अच्छी तरह समझा गया। कुछ गलत नहीं था, कोई हिचक नहीं थी और एक बार भी नहीं कहा गया कि आपको टी20 कप्तानी नहीं छोड़नी चाहिए।
वनडे कप्तानी को लेकर उन्होंने कहा, आठ दिसंबर को टेस्ट श्रृंखला के लिए चयन बैठक से डेढ़ घंटा पहले मेरे साथ संपर्क किया गया और इससे पहले टी20 कप्तानी को लेकर मेरे फैसले की घोषणा के बाद से मेरे साथ कोई संपर्क नहीं किया गया था।
कोहली ने कहा, मुख्य चयनकर्ता ने टेस्ट टीम पर चर्चा की जिस पर हम दोनों सहमत थे। बात खत्म करने से पहले मुझे बताया गया कि पांच चयनकर्ताओं ने फैसला किया है कि मैं एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कप्तान नहीं रहूंगा जिस पर मैंने कहा ठीक है, कोई बात नहीं।उन्होंने कहा, इसके बाद टीम चयन के दौरान हमने इसके बारे में संक्षिप्त में बात की और यही हुआ।कोहली ने कहा कि बीसीसीआई के पदाधिकारियों ने उनके फैसले को प्रगतिशील बताया।
उन्होंने कहा, इसके विपरीत बीसीसीआई ने इसे प्रगतिशील और सही दिशा में उठाया गया कदम करार दिया था। उस समय मैंने कहा था कि हां, टेस्ट और एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय में मैं (कप्तान) बरकरार रहना चाहता हूं जब तक कि पदाधिकारियों और चयनकर्ताओं को लगता है कि मुझे इस जिम्मेदारी को निभाते रहना चाहिए।
कोहली ने कहा, बीसीसीआई के साथ मेरा संवाद स्पष्ट था। मैंने विकल्प दिया था कि अगर पदाधिकारियों और चयनकर्ताओं की सोच कुछ और है तो यह (फैसला) उनके हाथ में है।
BCCI किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में है
बोर्ड के एक अनुभवी प्रशासक ने कहा , बीसीसीआई के लिये यह काफी पेचीदा है। बोर्ड बयान जारी करता है तो कप्तान को झूठा साबित करेगा। बयान जारी नहीं करता है तो अध्यक्ष पर सवाल उठेंगे । कोहली के बयान से बोर्ड को काफी नुकसान हुआ है और ज्यादा इसलिये क्योंकि संवादहीनता की स्थिति है।
बीसीसीआई की मानें तो एक वरिष्ठ ने दावा किया कि जब कोहली से पूछा गया कि क्या टी20 कप्तान छोड़ना उचित होगा तो उसमें नौ लोग शामिल थे। इनमें पांच चयनकर्ता , अध्यक्ष गांगुली, सचिव जय शाह, कप्तान कोहली और रोहित शर्मा शामिल हैं।
इस समूचे घटनाक्रम से यह साबित हो गया कि कप्तान और बोर्ड के बीच संवादहीनता है। इसके अलावा रोहित को वनडे कप्तान बनाने की ट्विटर पर एक पंक्ति की घोषणा में कोहली का जिक्र नहीं होना गरिमामय नहीं था।
कप्तान कोहली आहत हैं और यह स्पष्ट हो गया जब उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में वनडे नहीं खेलने की अटकलों को भी खारिज किया।