मुंबई। रिजर्व बैंक (RBI) के बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर सरकार को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि बड़े पैमाने पर बैंकों का निजीकरण करना खतरनाक हो सकता है। ऐसा करने से फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकते हैं। इस बीच कांग्रेस ने इस मामले में मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उस पर मनमानी करने का आरोप लगाया।
इस लेख में कहा गया है कि सरकारी बैंकों का एक मात्र मकसद अधिकतम मुनाफा कमाना नहीं होता। अगर देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लक्ष्य को ध्यान में रखा जाए तो हमारे सरकारी बैंकों ने प्राइवेट बैंकों से कहीं बेहतर काम किया है।
इसमें कहा गया है कि सरकारी बैंकों ने कोविड-19 महामारी से उपजे हालात का काफी मजबूती से सामना किया है। हाल ही के दिनों में सरकारी बैंकों के विलय से बैंकिंग सेक्टर का बड़े पैमाने पर कंसॉलिडेशन भी हुआ है।
आरबीआई का मानना है कि हाल के सालों में देश के सरकारी बैंकों पर बाजार का भरोसा काफी बढ़ा है। ऐसे में इनका एकसाथ बड़े पैमाने पर निजीकरण करना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने के संकेत देती रही है। 1 फरवरी 2021 को पेश वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार IDBI बैंक के अलावा दो और सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करना चाहती है।
इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि RBI की चेतावनी! सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या पहले ही 27 से घटकर 12 हो गई है। सरकार का प्लान और कम करके शायद सिर्फ 1 करने का है। RBI का कहना है, ऐसा करके आपदा को निमंत्रण दिया जा रहा है। लेकिन मोदी सरकार हमेशा मनमानी करती है। नोटबंदी के लिए भी RBI की बात नहीं सुनी गई।