नई दिल्ली। लोकसभा द्वारा वित्त विधेयक-2023 को मंजूरी देने के साथ पहली अप्रैल से नए कर प्रावधानों के लागू होने का रास्ता भी साफ हो गया है। नए नियम के तहत डेट म्यूचुअल फंड से होने वाला लाभ अब शार्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। इसके साथ ही लांग टर्म कैपिटल गेन पर भी अब इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के अनुसार, नया नियम डेट म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने वालों के लिए सीधे तौर पर घाटे का सौदा है। भले ही डेट म्यूचुअल फंड में निवेशक कितने भी समय तक पैसा रखें, उससे होने वाले लाभ को STCG की श्रेणी में गिना जाएगा।
म्यूचुअल फंड विशेषज्ञ रमाकांत मुजावदिया ने कहा कि एफडी की तरह ही डेट म्यूचुअल फंड के टैक्स की गणना होगी। पहले डेट में इंडेक्सेशन का फायदा मिलता था। इससे 3 साल से ज्यादा इसमें पैसा रखने पर कम टैक्स लगता था। अब 1 अप्रैल से यह एफडी की तरह ट्रीट होगा। यह इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से लगेगा। अगर आप 10 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आते हैं तो 10 प्रतिशत और 30 प्रतिशत स्लैब में आते हैं तो आपको 30 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा।
उन्होंने कहा कि डेट में निवेशक करने वाले एफडी की ओर रुख कर सकते हैं। हालांकि म्यूचुअल फंड में अभी भी कई विकल्प मौजूद है। बैलेंस एडवांटेज फंड है, आर्बिटेज फंड है। निवेशक इन फंडों में भी निवेश कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि बजट 2023-24 में कहा गया था कि ऐसे म्यूचुअल फंड जिनका इक्विटी में निवेश 35 फीसदी से कम है, उनके मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में रखा जाएगा। भले ही इसके निवेश की अवधि कितनी भी हो। अभी डेट म्यूचुअल फंड को अगर 3 साल से ज्यादा समय के लिए निवेश किया जाता है तो उससे होने वाले मुनाफे को लांग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में रखा जाता है।
माना जा रहा है कि इस फैसले का सीधा असर संस्थागत निवेशकों और बड़ी पूंजी लगाने वाले निवेशकों को होगा। छोटे निवेशकों पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा। अब लोगों का रुझान एक बार फिर FD में बढ़ेगा।
written and edited by : Nrapendra Gupta