रुपए में शुक्रवार को भी डॉलर के मुकाबले गिरावट जारी रही और भारतीय रुपया 21 पैसे की गिरावट के साथ 70.95 के स्तर पर खुला। कारोबार के शुरुआत कुछ मिनटों में ही रुपये ने 71 रुपये/डॉलर के स्तर को भी छू लिया। इसके पहले गुरुवार के कारोबारी सत्र में रुपया 70.74 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था।
2018 में अभी तक भारतीय रुपया 10 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है। मंहगाई के मुद्दे पर आलोचना झेल रही सरकार के लिए अब मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कभी रुपए-पेट्रोल की कीमतों पर यूपीए को कोसने वाली भाजपा के लिए अब रुपए की गिरती कीमत को थामना बड़ी चुनौती है।
फिलहाल इस समय आम आदमी की मुश्किलों में और इजाफा हुआ है। रुपये में कमजोरी से देश में पेट्रोल-डीजल समेत कई चीजें महंगी हो रही है। इस समय भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करता है। रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात महंगा हो जाएगा।
इसके प्रभाव से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं। डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में तेजी आ सकती है। इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है। रुपये के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं।