नई दिल्ली। सबसे अमीर भारतीय मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने फॉर्च्यून की 'चेंज दि वर्ल्ड' सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है। सूची में दुनिया भर की ऐसी कंपनियों को शामिल किया गया है जिन्होंने दुनिया को सामाजिक समस्याएं सुलझाने में मदद देकर अपने लाभ का रास्ता बनाया। फॉर्च्यून द्वारा जारी इस सूची में जियो फार्मा कंपनी मर्क और बैंक ऑफ अमेरिका से भी आगे रही है। सूची में चीन कंपनी की अलीबाबा को पांचवां स्थान मिला है। उसके ही फूड एंड ड्रग स्टोर क्रोगर को छठा स्थान प्राप्त हुआ। इंडस्ट्रियल मशीनरी कंपनी एबीबी को आठवां और नेटवर्क व कम्युनिकेशन कंपनी ह्यूजेज नेटवर्क सिस्टम को दसवां स्थान मिला।
फॉर्च्यून के अनुसार अगर इंटरनेट की सुविधा मूलभूत मानवाधिकार है, जैसा संयुक्त राष्ट्र ने 2016 के ग्रीष्मकाल में घोषित किया था, तो रिलायंस जियो किसी अन्य कंपनी के विस्तार से कहीं ज्यादा श्रेय पाने के योग्य है। जियो ने सितंबर 2016 में फ्री कॉल्स और सस्ती डाटा सर्विस के साथ देश के टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखकर तूफान ला दिया था। इसके बाद प्रतिस्पर्धी कंपनियों को विलय के लिए बाध्य होना पड़ा। जियो अब तक 21.5 करोड़ ग्राहक जुटा चुकी है और फायदे में आ गई है।
फॉर्च्यून ने कहा कि मुकेश अंबानी कहते रहे हैं कि जियो आम लोगों को डिजिटल ऑक्सीजन प्रदान करती है। दुनिया के दूसरे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में दो साल पहले इस तरह की ऑक्सीजन बहुत ज्यादा नहीं थी। 2जी नेटवर्क पर स्मार्टफोन धीमी रफ्तार से डाटा सर्विस देते थे और आम लोगों को 200 रुपए प्रति जीबी के मूल्य पर यह सर्विस मिलती थी। उस समय 130 करोड़ की आबादी में से सिर्फ 15.3 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध थी।
4जी नेटवर्क के साथ जियो के आने के बाद कॉल्स मुफ्त हो गईं और डाटा चार्ज दो-तीन रुपए प्रति जीबी रह गए। कंपनी ने अत्यंत सस्ते स्मार्टफोन और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सेवाएं भी लांच कीं। इसकी वजह से देश में जो बदलाव आया, उसे क्रांति से कम नहीं कहा जा सकता है। जियो की पहल और तेज हुई प्रतिस्पर्धा के चलते भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था में छलांग लगाई।
फॉर्च्यून के अनुसार इस बदलाव से ग्रामीण क्षेत्रों में किसान, छात्र और छोटे कारोबारियों को खूब फायदा मिला। उनके हाथ में ऐसा टूल आ गया जिसके जरिए वे आधुनिक अर्थव्यवस्था में भागीदार बन गए। फॉर्च्यून इस सूची में उन कंपनियों को स्थान देती है जिन्होंने अपनी कारोबारी गतिविधियों के जरिए सामाजिक बदलाव ला दिया और जिन्होंने इसी को अपनी प्रमुख कारोबारी रणनीति बना लिया। इस सूची में न्यूनतम एक अरब डॉलर ( करीब 7000 करोड़ रुपए) कारोबार वाली कंपनियों को शामिल किया जाता है।