बजट 2021 के अंतर्गत अब GST में ऑडिट की जरूरत खत्म कर दी गई है। अब व्यापारी को कहा गया है कि वह स्वयं इसे फॉर्म GSTR 9 और GSTR 9C सरटीफाई करके सबमिट कर दें। हालांकि सामान्य व्यापारी को GSTR 9 और 9C जो की बुक्स से रिटर्न का मिलान करने के लिए CA की मदद लेना पड़ेगी। आइए 16 बिन्दुओं में जानते हैं GST से जुड़ी जानकारी...
1. वर्तमान वर्ष में ऑडिट करना ही है। आने वाले वर्षों के लिए ऑडिट खत्म किया गया है।
2. अब इनपुट टैक्स क्रेडिट तब ही मिलेगा जबकि आपके सप्लायर ने GSTR 1 भर दिया है और वह 2B या 2A के माध्यम से आपको सूचित हो गया है।
3. पहले विसंगति यह थी कि सप्लायर की जवाबदारी खरीददार पर क्यों डाली जा रही है? कई कोर्ट ने विभाग के विरुद्ध निर्णय दिए, इसके बाद यह संशोधन आया है।
4. अब आपको रेगुलर रिटर्न भरनेवाले से ही माल खरीदना चाहिए। अब बिल और गुड्स प्राप्ति की कंडीशन के अलावा उपरोक्त कंडीशन भी जोड़ दी गई है।
5. प्रोविसनल ITC लेने में अब परेशानी है।
6. अब 1.7.2017 से ही आपको ब्याज नकद लेजर से पेमेंट पर देना है। मतलब जिन लोगों ने ग्रॉस लायबिलिटी पर ब्याज भर दिया है वे अब रिफंड क्लेम कर सकते हैं।
7. संबंधित भुगतान की तारीख को अभी 2 वर्ष नहीं होना चाहिए। इस संबंध में स्पष्टता नहीं है। पहले कई मामलो में ITC का बेनिफिट दिए बगैर ग्रॉस लायबिलिटी पर ब्याज विभाग ने ले लिया है।
8. जानते हुए भी किसी ट्रांसेक्शन को छुपाने के लिए धारा 74 में कारवाही होती थी तो धरा 129 और 130 की पेनल्टी इसमें ही मान ली जाती थी।
9. अब रास्ते में मॉल को पकड़ने पर धारा 129 और 130 की पेनल्टी अलग ही रहेगी। इन सभी को डी-लिंक किया है।
10. अब रास्ते में गाड़ी पकड़ने पर संशय रहता था की इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा की नहीं क्योंकि वहां एप्लीकेबल टैक्स और बराबर की पेनल्टी लगती थी।
11. अब इस संशय को ख़त्म करते हुए डायरेक्ट पेनल्टी जो की 200% टैक्स की लगेगी। टोटल अमाउंट में कोई परिवर्तन नहीं है। पहले जितनी ही लायबिलिटी आयेगी। सिर्फ भाषा में सुधार किया है। अब बांड या सिक्यूरिटी देने से माल नहीं छूटेगा।
12. पहले गाड़ी भी जप्त हो जाती थी तो धारा 129 में छूटना मुश्किल थी लेकिन अब पेनल्टी जो लगी है या 1 लाख जो भी दोनों में कम हो, ट्रांसपोर्टर अपने पास से भरकर सिर्फ गाड़ी छुड़वा सकता है।
13. सबसे विशेष बात यह है कि 129 की कारवाही होने पर धारा 130 की कारवाही नहीं की जा सकेगी। अब उन्हें इसी धारा में गुड्स बेचने के पॉवर आ गए है। धारा में विभाग को फाइन लगाने के पॉवर है।
14. धारा 130 में से नॉटविथस्टैंडिंग पॉइंट को हटा दिया है। धारा 129 को अलग कर दिया है। यह अच्छा संशोधन है। इससे विभाग एक ही गलती पर दो धाराओ का उपयोग नहीं कर पायेगा।
15. अब कोई भी संस्था अपने मेम्बर को सेवा या सामान बेचती है तो वह सप्लाई की परिभाषा में आयेगा। इसे शेड्यूल 2 से हटा दिया है और सप्लाई में ले लिया गया है। अब म्यूच्यूअल कांसेप्ट खत्म कर दिया गया है।
16. अब यदि GSTR-1 और 3B की लायबिलिटी में मिस मैच है तो सरकार को रिकवरी के अधिकार प्राप्त हो गए है। GSTR 1 में दर्शाई टैक्स राशी भी सेल्फ असेसमेंट टैक्स की परिभाषा में ले ली गई है।