नई दिल्ली। आर्थिक मंदी की आहट अब स्पष्ट सुनाई देने लगी है। दुनियाभर के अर्थशास्त्री मंदी को लेकर चिंता जता रहे हैं। आइए जानते हैं वे 10 बातें, जो आर्थिक मंदी का संकेत दे रही हैं...
-मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही नरमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे निवेशकों की संपत्ति का क्षरण हो रहा है और बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है।
-भारत का ऑटो सेक्टर इस समय मंदी की चपेट में है। इस क्षेत्र के लाखों लोगों की नौकरी दांव पर लगी है। पिछले 3 माह में यहां काम कर रहे 2-3 लाख लोग बेरोजगार हो चुके हैं। यदि समय रहते सरकार ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो स्थिति और भयावह रूप ले सकती है।
-RBI द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार उद्योगों को दिए जाने वाले कर्ज में गिरावट हुई है। पेट्रोलियम, खनन, टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर व संचार जैसे सेक्टर्स में उद्योगों ने कर्ज लेना कम कर दिया है।
-अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की वजह से भी दुनिया में आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ता नजर आ रहा था। इन दोनों महाशक्तियों के बीच हो रही कारोबारी जंग ने कई छोटे देशों को मुश्किल में डाल दिया है।
-दुनियाभर के वित्तीय बाजारों ने इस सप्ताह अमेरिका में मंदी का दौर शुरू होने के संकेत दे दिए हैं। इससे निवेशकों के साथ ही कंपनियों में भी घबराहट का माहौल दिखाई दे रहा है।
-अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी कहा कि अगर 2020 में चुनाव हारा तो देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
-अर्जेंटीना की मुद्रा पेसो का अमेरिकी डॉलर की तुलना में इस हफ्ते 20 फीसदी तक अवमूल्यन हो गया है। देश में मची आर्थिक उथल-पुथल के बाद वित्तमंत्री निकोलस दुजोने ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया।
-अमेरिका की इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि अगले 9 महीनों में आर्थिक मंदी आ जाएगी हालांकि भारत इस मंदी की चपेट से थोड़ा दूर रहेगा।
-चीन पर अमेरिकी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। इस वजह से यहां की विकास दर लगातार कम हो रही है। IMF ने चीन की विकास दर को घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया है।
-नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है। उन्होंने आर्थिक नीतियां बनाने वालों के बीच तैयारियों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि 2019 के अंत या फिर अगले साल वैश्विक मंदी आने की काफी आशंका है।