सीढ़ियां यदि वास्तु के अनुसार नहीं बनी है और वह खराब, अस्वच्छ है तो राहु का दोष प्रारंभ हो जाता है। सीढ़ियों की दशा और दिशा सही नहीं है तो चोर-उचक्कों का भय, व्यापार में हानि और कर्जदार होने की नौबत आ सकती है। संतान की प्रकृति पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे घर का मुखिया हर समय परेशा ही रहता है।
लाल किताब के अनुसार घर या मकान की सीढ़ियां कैसी होना चाहिए? किस दिशा में सीढ़ियां होना चाहिए? किस तरह की सीढ़ियां होना चाहिए? ऐसे ही कुछ सवालों के उत्तर हम जानते हैं।
1.सीढ़ियों की दिशा : दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण को सीढ़ियों की दिशा माना जाता है। बेसमेंट के लिए सीढ़ियां होनी चाहिए पूर्व, उत्तर या ईशान कोण में। भूतल की छत पर या पहली मंजिल पर जाने के लिए सीढि़यां उत्तर-पूर्व या ईशान कोण में नहीं बनाएं।
उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण-पूर्व मतलब आग्नेय में सीढ़ियों के होने से बच्चों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है।
2.किस तरह की हों सीढ़ियां : सीढ़ियां कई प्रकार की होती है। जैसे- लकड़ी, पत्थर, सीमेंट या लोहे की। सीढ़ियां खासकर पत्थर या लकड़ी की होना चाहिए।
3.सीढ़ियों की बनावट : सीढ़ियों की बनावट ऐसी हो कि चढ़ने में परेशानी ना हो। वृद्ध या कमजोर भी आसानी से चढ़-उतर सकें। सीढ़ियों का प्रत्येक पायदान बराबर होना चाहिए। सीढ़ियों के किनारे टूटे-फूटे नहीं होने चाहिए। ध्यान रहे कि लोहे या धातु के फ्रेम कभी सीढ़ियों में नहीं लगाने चाहिए।
4.सीढ़ियों की डिजाइन : सीढ़ियों के दोनों ओर या तो डिजाइनदार रेलिंग हों या फिर मजबूत पतली दीवार होना चाहिए। सीढ़ियों पर या उनकी दीवारों पर नक्काशी या देवी-देवताओं के रेखाचित्र नहीं उकेरना चाहिए।
3.सीढ़ियों का घुमाव : यदि घुमावदार सीढ़ियां हों, तो फिर इसका घुमाव बाएं से दाएं हाथ की ओर होना चाहिए। खासकर दक्षिणावर्ती घुमाव उचित है।
5.सीढ़ियों की संख्या : सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या में हों। जैसे- 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 23, 29 आदि संख्या में हो।
6. सीढ़ियों के नीचे हो स्टोर रूम : सीढि़यों के नीचे यदि जगह खाली है तो स्टोर या स्विच रूम बनाया जा सकता है लेकिन उसके नीचे दुकान, टॉयलेट, बाथरूम, लेटने का पलंग या बैठने का आसन नहीं होना चाहिए।
7.ब्रह्म स्थान में नहीं बनाएं सीढ़ियां : सीढ़ियां कभी भी घर, मकान या दुकान के बीचों-बीच या ब्रह्मा स्थान में नहीं होनी चाहिए। अंदर की बजाय घर के बाहर बनी सीढ़ियां अधिक सुविधाजनक होती हैं।
8.सीढ़ी की चौड़ाई-ऊंचाई : सीढ़ी की चौड़ाई 10 इंच और ऊंचाई 8 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए। बड़ी इमारतों, सार्वजनिक स्थानों और व्यापारिक परिसरों में यह नियम लागू नहीं होता।
9.साफ, स्वच्छ और सुंदर हो सीढ़ियां : यदि सीढ़ियां साफ, स्वच्छ और सुंदर नहीं है तो वहां पर राहु सक्रिय होकर जीवन में उथल पुथल मचा देता है। शत्रु सक्रिय हो जाते हैं और व्यक्ति कर्ज से भी घिर जाता है।
10.प्रवेश द्वारा और सीढ़ी : घर के मुख्य द्वार के एकदम सामने सीढ़ियां नहीं होना चाहिए। मुख्य दरवाजे खुलते ही सीढ़ियां नहीं होना चाहिए।